कभी भी नेपाल से ज्यादा तबाही झेलने को तैयार रहे भारत
नेपाल समेत उत्तर भारत में गत शनिवार को आये भूकम्प से भले ही पूरा देश हिल गया हो और जान-माल की भारी क्षति हुई हो लेकिन अभी बड़ी तबाही आना बाकी है.
नेपाल से निकलकर दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे भारतीय लोग. |
भू वैज्ञानिकों की माने तो सेन्ट्रल हिमालयन रिजन में आया यह भूकम्प 80 सालों का सबसे बड़ा झटका था. वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालयन रिजन में अगला भूकम्प आने पर भारत में भी नेपाल की तरह तबाही मच सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 'भारत में इस तीव्रता पर एक भूकम्प अभी आना बाकी है.' यह कब आयेगा इसके बारे में सही-सही आकंलन नहीं किया जा सकता है यह आज भी आ सकता है या अगले 50 साल के बाद. इससे काफी तीव्रता वाला भूकंप आना तय है.
भारत में भूकंप कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड में हिमालय की पहाड़ियों में आ सकता है. 'सेसमिक गैप' इस रिजन में बढ़े हैं जिनकी पहचान कर ली गयी है. वह नेपाल में आये भूकम्प से काफी शक्तिशाली हो सकता है.
भू वैज्ञानिकों का कहना है कि नेपाल से अधिक शक्तिशाली भूकम्प के आने की आशंका अभी हिमालय और उसके आसपास के इलाकों में बनी है. विशेषज्ञों की माने तो उत्तर भारत और दिल्ली में इतनी तीव्रता वाले भूकम्प आने से सबसे ज्यादा तबाही मचेगी क्योंकि इन हिस्सों में बनी बहुमंजिले इमारतें 7 रिएक्टर से ज्यादा भूकम्प सहन नहीं कर सकती हैं.
हफ्ते भर पूर्व वैज्ञानिकों ने नेपाल दौरा कर जताई थी आशंका : कुछ विशेषज्ञों को इस आपदा की जानकारी थी और उन्होंने इसकी आंशका भी व्यक्त कर दी थी. एक सप्ताह पहले ही चार दर्जन से ज्यादा भूकम्प और सोशल सांइटिस्ट विभर से काठमंडू पहुंचे थे. वैज्ञानिकों की टीम को यह एहसास नहीं था कि वे जिस भयानक आपदा का अनुमान लगा रहे हैं वह इतनी जल्दी आ जायेगी. वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं कि कोई ऐसा तरीका तलाशा जाए जिससे भूकम्प के आने की संभावना का पता लगाया जाए, लेकिन अभी इसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है.
हर साल पांच मिमी उपर उठ रहा हिमालय : नेपाल में गत शनिवार को आये भूकम्प से भारी तबाही हुई है, और इसे 1934 के बाद का सबसे बड़ा भूकम्प माना जा रहा है. नेपाल में वैसे तो भूकम्प आते रहते हैं और इसीलिए उसे दुनिया में भूकम्प के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील जोन माना जाता है. बीएचयू के भू वैज्ञानिक प्रो, जीएस यादव बताते हैं कि इस क्षेत्र में पृथ्वी की इंडियन प्लेट (भारतीय भूगर्भीय परत) यूरेशियन प्लेट के नीचे दबती जा रही है इससे हिमालय ऊपर उठता जा रहा है. हर साल हिमालय लगभग पांच सेंटीमीटर प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है जिसके कारण हर साल हिमालय पांच मिलीमीटर उठता जा रहा है. इससे चट्टानों के ढ़ांचे में एक तनाव पैदा हो जाता है. जब ये तनाव चट्टानों के बर्दाश्त के बाहर हो जाता है तो भूकंप आता है.
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