नेपाल भूकंप से नरेन्द्र मोदी का मन बोझिल, कहा दुख में हम नेपाल के साथ
नेपाल भूकंप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोझिल मन से \'मन की बात\' कही. उन्होंने कहा कि नेपाल के दर्द को समझ सकता हूं. मैंने कच्छ के भूकंप को करीब से देखा है.
नरेन्द्र मोदी |
प्रधानमंत्री ने मन की बात की शुरुआत करते हुए कहा कि आज मन की बात करने का मन नहीं हो रहा था. बोझ अनुभव कर रहा हूं, कुछ व्यथित सा मन है.
उन्होंने कहा कि दुख के घड़ी में भारत नेपाल के साथ है. हम नेपाल के हर व्यक्ति के आंसू पोंछेंगे. 125 करोड़ भारतीयों के लिए नेपाल अपना देश है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि शनिवार को भयंकर भूकंप ने पूरे विश्व को हिला दिया है. ऐसा लगता है मानो प्राकृतिक आपदा का सिलसिला चल पड़ा है. मैंने 26 जनवरी, 2001 को कच्छ के भूकंप को निकट से देखा है. ये आपदा कितनी भयानक होती है, उसकी मैं कल्पना भली-भांति कर सकता हूं.
पीएम ने कहा कि नेपाल पर क्या बीतती होगी, उन परिवारों पर क्या बीतती होगी, उसकी मैं कल्पना कर सकता हूं. लेकिन मेरे प्यारे नेपाल के भाइयो-बहनो, हिन्दुस्तान आपके दुख में आपके साथ है. सबसे पहला काम है रेस्क्यू ऑपरेशन, लोगों को बचाना. अभी भी मलबे में दबे हुए कुछ लोग जीवित होंगे, उनको जिन्दा निकालना हैं.
साथ ही उन्होंने भूकंप में हुए विध्वंस पर दुख व्यक्त किया और राहत कार्यों को तेज करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई.
कार्यक्रम रेडियो सेटों पर सुबह 11 बजे प्रसारित किया गया. प्रधानमंत्री ने रविवार को आकाशवाणी पर देशवासियों से सातवीं बार 'मन की बात' की. इसका क्षेत्रीय भाषाओं में रात आठ बजे आकाशवाणी के सभी केन्द्रों से प्रसारण किया जायेगा.
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