किसी के साथ भेदभाव की इजाजत नहीं दी जा सकती: सरकार

Last Updated 21 Apr 2015 02:20:17 PM IST

अल्पसंख्यकों के खिलाफ बीजेपी और सहयोगी दलों के नेताओं की बयानबाजी से किनारा करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि देश का संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है.




गृह मंत्री राजनाथ सिंह

सरकार ने स्पष्ट किया कि जाति, नस्ल, धर्म, क्षेत्र और लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव की इजाजत नहीं दी जा सकती.

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों ने इस मामले को उठाते हुए सरकार से बयान की मांग की तो गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का संविधान देश के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. जाति, धर्म, नस्ल, क्षेत्र और लिंग के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं दी जा सकती. सदन के भीतर या बाहर अगर कोई सदस्य इस तरह का बयान देता है जिससे कि भेदभाव होता है, तो सरकार इसका समर्थन नहीं करेगी.

इससे पहले कांग्रेस के एम आई शाहनवास ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि जबसे यह सरकार बनी है अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयानबाजी हो रही है. उन्हें डराया धमकाया जा रहा है. कोई उनसे मताधिकार छीनने की बात कर रहा है तो कोई जबर्दस्ती उनकी नसबंदी कराने की मांग कर रहा है. यह संविधान के खिलाफ है. ऐसी बयानबाजी कर रहे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ सत्तापक्ष के नेताओं की बयानबाजी से देश में अशांति फैल रही है. सांसद, मंत्री और सत्तारूढ़ दल से जुड़े संगठन अल्पसंख्यकों के खिलाफ विष फैला रहे हैं. सरकार को यह संदेश देना चाहिए कि वह संविधान के अनुरूप चलने वाली है. कई अन्य दलों के सदस्यों ने भी इस संबंध में सरकार से बयान की मांग की.

खडगे ने कहा कि सत्तारूढ गठबंधन के सदस्य समाज में विष फैला रहे हैं और इसे बांटने का प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार को अस्थिर बनाने का प्रयास आपकी ओर से हो रहा है, हमारी ओर से नहीं.

उन्होंने कहा कि संविधान का पालन करने का संदेश देने की बजाए आपके सदस्य सभी तरह के विभाजनकारी बयान दे रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के एक राजनीतिक दल के मुखपत्र के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए और अगर जरूरत हो तब इसे बंद किया जाए.

 



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