जेएंडके गठबंधन सरकार के खिलाफ भाजपा में विरोध के सुर
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन को लेकर भाजपा के भीतर से विरोध के कड़े स्वर उठने शुरू हो गए हैं.
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद एवं अलगाववादी मसर्रत आलम बट (फाइल फोटो) |
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के वजूद में आने के बाद से अलगाववादियों द्वारा लगातार माहौल बिगाड़ने की कोशिशों की वजह से अब इस गठबंधन को लेकर भाजपा के भीतर से विरोध के कड़े स्वर उठने शुरू हो गए हैं.
पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार एवं प्रमुख बुद्विजीवी प्रो. हरि ओम ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक कड़ा पत्र लिख पूछा है कि आखिर पार्टी की कश्मीरी नीति क्या है. उन्होंने पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार से तुरंत रिश्ता तोड़ लेने की मांग भी की है. उन्होंने गत 15 अप्रैल को घाटी में अलगाववादी मसर्रत आलम बट तथा सैयद अली शाह गिलानी समेत अन्य अलगाववादियों द्वारा पाकिस्तानी झंडे फहराए जाने तथा पाक समर्थक नारे लगाए जाने के मामले का भी अपने इस पत्र में जिक्र किया है. इसमें 17 बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भी अपील की है कि वह राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के लिए उचित विचार और कदम उठाएं. उन्होंने याद दिलाया कि पार्टी के लिए सत्ता से ज्यादा राष्ट्रहित सवरेपरि है.
फिलहाल प्रो. हरि ओम के इस खुले पत्र को लेकर प्रदेश का कोई भी नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. इस संवाददाता ने कुछ नेताओं से संपर्क करके उनसे उनका पक्ष जानना चाहा तो वह कुछ भी कहने से कतराते रहे. प्रो. हरि ओम ने यह भी कहा है कि लोकसभा चुनाव में इस सरहदी सूबे के आवाम ने जम्मू की दोनों तथा लद्दाख की एक सीट पर भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी.
विधानसभा चुनाव में भी जम्मू संभाग की कुल 37 सीटों में से 25 पर विजय हासिल करके पार्टी ने सूबे की राजनीति में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया. ऐसी स्थिति में कम से कम जम्मू संभाग तथा लद्दाख के लोग भाजपा से यह उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रहित को पार्टी सबसे उपर माने. जब से पीडीपी-भाजपा गठबंधन सत्ता में आसीन हुआ है, तब से अलगाववादी नेताओं के हौंसले निरंतर बढ़ते जा रहे हैं. जबकि पूर्ववर्ती उमर अब्दुल्ला सरकार के समय अलगाववादी हाशिये पर पहुंच गए थे. एक मार्च को शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सूबे के शांतिपूर्ण संपन्न हुए चुनाव के लिए पाकिस्तान, आतंकवादियों तथा अलगाववादियों को श्रेय देकर सबको भौंचक कर दिया था.
भाजपा के कोटे से उपमुख्यमंत्री बने डा. निर्मल कुमार सिंह तब रहस्मय चुप्पी साधे रहे थे. उसके बाद से अलगाववादी गुटों द्वारा लगातार सूबे में शांति व्यवस्था भंग करने से लेकर भारत विरोधी गतिविधियां की जाने लगी हैं. हैरत की बात यह है कि मुख्यमंत्री मुफ्ती इन सब पर आंखे मूंदे हैं. भाजपा की ओर से जो सूबे की सरकार में मंत्री बने बैठे हैं, वह भी चुप हैं. पार्टी के कुछ विधायक तथा अन्य नेता जरूर घाटी में जो हो रहा है, उसे लेकर चिंतित भी हैं और समय-समय पर उन्होंने अपने विरोध का इजहार भी किया.
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