सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रम में जाट आरक्षण को किया अस्वीकार

Last Updated 31 Mar 2015 06:44:23 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये जाट छात्रों को आरक्षण देने के लिये दायर याचिका खारिज कर दी.


पाठ्यक्रम में जाट आरक्षण अस्वीकार

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस विषय का पहले ही समाधान किया जा चुका है और अब जाट छात्रों के पक्ष में कोई निहित अधिकार नहीं है. जाटों को अन्य पिछडे वर्गो की केंद्रीय सूची में शामिल करने की संप्रग सरकार की अधिसूचना को 17 मार्च को निरस्त कर दिया था.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की खंडपीठ ने कहा कि इस अधिसूचना के तहत आवेदनकर्ताओं का कोई अधिकार निहित नहीं है और यह अधिकारी उस रिट याचिका के नतीजे के दायरे में था जिस पर कोर्ट ने 17 मार्च को फैसला कर दिया है.

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती है. कुछ जाट छात्रों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये अखिल भारतीय काउंसिलिंग के समय जाट समुदाय अन्य पिछडे वर्गो की केंद्रीय सूची में था क्योंकि उस वक्त तक शीर्ष अदालत का निर्णय नहीं आया था लेकिन अब जब राज्य स्तर की काउंसिलिंग हो रही है तो जाट समुदाय के छात्र सामान्य वर्ग के दायरे में आ गये हैं.

उन्होंने कहा कि बाद में राज्य स्तर की काउंसिलिंग में बेहतर कालेजों की चाहत में अखिल भारतीय काउंसिलिंग का चयन नहीं करने वाले छात्र अब न इधर के रहे और न ही उधर के. उन्होंने कहा कि ये छात्र निर्दोष हैं और वे इस झमेले में फंस गये हैं.

कोर्ट ने कहा कि उसने स्पष्ट कर दिया था कि इस तरह के प्रवेश लंबित याचिका पर फैसले के दायरे में आयेंगे जो अब किया जा चुका है.

इससे पहले, कोर्ट ने इस मसले पर 4 मार्च, 2014 की अधिसूचना निरस्त करते हुये कहा था कि पहले गलती से समाहित करने को आगे समाहित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता और आरक्षण सबसे अधिक जरुरत मंद को ही मिलना चाहिए.



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