भारत को सभी पड़ोसियों से है परेशानी: अजीत डोभाल

Last Updated 27 Mar 2015 11:30:43 AM IST

देश के रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का कहना है कि ऐसा एक भी पड़ोसी देश नहीं है जिसके साथ भारत को परेशानी न हो.


देश के रक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

उन्होंने कहा कि मैनेजिंग सिक्यॉरिटी की सबसे बड़ी समस्या ही पड़ोसी देशों से ज्यादा दोस्ताना संबंध न होना है. इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रह चुके डोभाल ने कहा, "म्यानमार के साथ इनसर्जेसी की समस्या है, बांग्लादेश के साथ गैरकानूनी प्रवासी की समस्या है, तो नेपाल का इस्तेमाल कुख्यात एजेंसिया भारत के खिलाफ गलत इरादों को अंजाम देने के लिए करती हैं."

डोभाल ने कहा, "भारत जैसे बड़े देश की सुरक्षा करना बड़ा काम है. देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा बड़ी है और पड़ोसी देशों से हमारे कुछ खास दोस्ताना संबंध भी नहीं हैं. इस पर सबसे बुरा यह है कि हमारे दो पड़ोसी देश परमाणु ताकत भी रखते हैं." एयरफोर्स के एक इवेंट में डोभाल ने पाकिस्तान व इस्लामाबाद में रेडिकलाइजेशन पर चिंता व्यक्त की.

डोभाल ने कहा, "पाकिस्तान में रेडिकलाइजेशन और अफगानिस्तान में समस्याएं भी हमारे लिए चिंता का विषय हैं. हमें पाकिस्तानी सरकार पर संशय है कि वे अपनी सरजमीं पर इसे पूरी तरह से कंट्रोल में कर सकेंगे." डोभाल ने कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ तमाम समस्याओं को न्यायपूर्वक सुलझाना चाहता है और इसके लिए प्रयासरत है.

सीमा पर अमन के लिए सहमति


हालांकि हाल ही में भारत और चीन ने विवादास्पद सीमा मुद्दे के समाधान के लिए 18वें दौर की बातचीत शुरू की.

चीन के सरकारी मीडिया ने कहा कि दोनों पक्ष सीमा मुद्दे के समाधान से पहले अपने विवादों को उचित तरह से संभालने और नियंत्रित करने पर सहमत हो गए हैं. पिछले साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पद संभालने के बाद सीमा मुद्दे पर बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधियों की पहली बैठक की सह-अध्यक्षता चीन के स्टेट काउंसिलर यांग जियेची और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने की.

बातचीत पर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, ‘दोनों पक्ष जटिल मुद्दे के समाधान से पहले अपने सीमाई क्षेत्रों में संयुक्त रूप से अमन चैन बनाए रखने के लिए सहमत हो गए.’

एजेंसी ने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में पिछले सालों में हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को मौजूदा उपलब्धियों और सहमतियों के आधार पर रूपरेखा में तय बातचीत की प्रक्रिया को सही दिशा में आगे बढ़ाते रहना चाहिए. उन्हें द्विपक्षीय रिश्तों पर तथा दोनों की जनता के दीर्घकालिक हितों पर विचार करना चाहिए. इसमें आगे कहा गया कि दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच हुई महत्त्वपूर्ण सहमतियों को लागू करने के लिए साझा प्रयास करेंगे, उच्चस्तरीय यात्राएं करते रहेंगे और चीन-भारत रणनीतिक सहयोग के विकास को बढ़ाएंगे.

एजेंसी ने कहा कि दोनों पक्ष सभी क्षेत्रों में व्यवहारिक सहयोग को बढ़ाने के लिए, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में समन्वय प्रगाढ़ करने और वैश्विक शांति व विकास के लिए साझेदारी के करीबी रिश्ते बनाने के लिए मिलकर काम करने को भी तैयार हो गए.

इसी तरह चीन के एक और सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया संस्थान सीसीटीवी ने कहा कि एक तरह का संकल्प रहा है लेकिन मई में मोदी की चीन यात्रा के दौरान कोई ठोस घोषणा हो सकती है जिनके आधार पर ये बातचीत आगे बढ़ी है.

हालांकि भारतीय सूत्रों ने कहा कि भारत ने व्यापारिक व वाणिज्यिक मुद्दों पर कड़ा संदेश देते हुए कि उसकी संरक्षणवादी नीतियों को लेकर भारतीय उद्योगों की नाराजगी के मद्देनजर भारत भी चीन से आयात की समीक्षा कर सकता है.
 



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