गंगा की सफाई चुनौतीपूर्ण, मिशन की तरह काम करना होगा : प्रधानमंत्री

Last Updated 26 Mar 2015 11:11:36 PM IST

गंगा की सफाई के कार्य को \'\'चुनौतीपूर्ण\'\' बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नदी को और प्रदूषित होने से बचाने के लिए \'\'बिना समझौते के मिशन की तरह रूख अपनाने\'\' की वकालत की और इसमें लोगों के सहयोग की भी जरूरत बताई.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा को साफ करने के काम से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने का काफी अवसर मिल सकता है और पूरे देश के रूख में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर बताया कि मोदी ने कहा कि कार्य \'\'चुनौतीपूर्ण\'\' है लेकिन \'\'भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारी जिम्मेदारी\'\' है कि नदी को बचाया जाए जो लाखों भारतीयों के \'\'विश्वास\'\' एवं \'\'श्रद्धा\'\' से जुड़ी हुई है.

मोदी ने कहा कि इन सकारात्मक भावनाओं को जिम्मेदारी की भावना में बदलना है और \'\'बिना समझौते के मिशन की तरह रूख\'\' अपनाना है. बैठक में उत्तराखंड, बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने भी शिरकत की.

उन्होंने कहा कि यह काम \'\'जन भागीदारी\'\' के बिना पूरा नहीं किया जा सकता.  बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने राज्यों से अपील की कि गंगा के किनारे बसे शहरों एवं गांवों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए और प्रदूषण फैलाने से रोकने के लिए इन इलाकों में पर्याप्त जागरूकता फैलाई जाए.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस विषय पर और अपने राज्यों से संबंधित मुद्दों पर विस्तार से विचार रखे.

बयान में कहा गया है कि उन्होंने जिन विषयों का जिक्र किया उनमें सिल्ट प्रबंधन और राज्यों की तरफ से दिए जाने वाले प्रस्तावों पर एकल खिड़की मंजूरी देना शामिल है.

बैठक में केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली, वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, उमा भारती, बीरेन्द्र सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और सांवरलाल जाट तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पांगरिया भी मौजूद थे.

 



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