नहीं लिया एस्सार से फायदा: नितिन गडकरी
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इन खबरों के कारण विवादों में घिर गए कि वह और उनके परिवार ने जुलाई 2013 में फ्रेंच रिविएरा में एस्सार ग्रुप की ऐशो-आराम की सुविधाओं से लैस शानदार याट यानी नौका में दो रातें बिताई थी.
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो) |
केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी कॉरपोरेट घराने से पैसा नहीं लिया.
गडकरी ने यह कबूल किया कि उन्होंने 2013 में एक यात्रा के दौरान याट क्रूज के लिए फ्रांस के शहर नाइस से लेकर रिविएरा वॉटरफ्रंट तक हेलीकॉप्टर की सवारी की थी.
हालांकि, उन्होंने साफ किया कि उस यात्रा के दौरान वह न तो मंत्री थे और न ही सांसद या विधायक थे. उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरी यात्रा का खर्च उन्होंने अपने परिवार के खाते से दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस ने बड़ा खुलासा किया है .
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक एस्सार कंपनी के खर्चे पर मोदी सरकार के मंत्री नितिन गडकरी और उनके परिवार ने विदेश यात्रा की थी. यूपीए सरकार के कई मंत्रियों और पत्रकारों पर भी कंपनी मेहरबान रही है.
एस्सार के आंतरिक दस्वावेजों से खुलासा हुआ है कि कंपनी के ही दस्तावेजों के मुताबिक 2013 में जब गडकरी मंत्री नहीं थे तब एस्सार ने गडकरी, उनकी पत्नी और दो बेटों के लिए याट का इंतजाम किया था.
फ्रेंच रिवेयरा के समंदर में ये याट 7 से 9 जुलाई 2013 तक खड़ा रखा. याट तक परिवार को पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर का भी इंतजाम किया गया. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आप नेता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पीआईएल दाखिल हुई है और मांग की है कि पूरे मामले की जांच कराई जाए. प्रशांत भूषण का कहना है कि किसी कंपनी से फायदा लेना भ्रष्टाचार के दायरे में आता है.
2013 में नितिन गडकरी और उनके परिवार के विदेश दौरे का खर्च रुइया परिवार की कंपनी एस्सार ने उठाया था.
नितिन गडकरी ने परिवार के साथ एस्सार के रुइया परिवार के खर्च पर विदेश में छुट्टियां मनाईं. 2013 में जब गडकरी मंत्री नहीं थे तब एस्सार ने गडकरी, उनकी पत्नी और दो बेटों के लिए यॉट का इंतजाम किया था.
गडकरी ने कहा है कि मैं परिवार के साथ नॉर्वे जा रहा था. होटल और विमान का किराया हमने उठाया. मैंने रुइया परिवार के याट का इस्तेमाल किया क्योंकि मैं उन्हें 25 साल से जानता हूं.
मेरे दौरे के बारे में सुनकर उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया. मैं इसमें कोई हितों का टकराव नहीं देखता. मैं न तो तब बीजेपी अध्यक्ष था, न ही मंत्री और न सांसद. इसमें क्या समस्या है.
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