हिंदू धर्म में वापसी करने वाले को एससी मान सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट
सप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि यदि किसी की हिंदू धर्म में वापसी होती है तो उसे अनुसूचित जाति का माना जा सकता है.
घर वापसी को मान सकते हैं एससी (फाइल फोटो) |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में वापसी करने वालों को यह भी साबित करना होगा कि उसके पूर्वज एससी जाति से संबंध रखते थे,हालांकि यह इतना आसान नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसके लिए जरूरी है कि उसकी जाति के लोग उसे स्वीकार करें. वहीं हिंदू धर्म में वापसी करने वाल को यह भी साबित करना होगा कि उसके पूर्वज एससी जाति से संबंध रखते थे.
जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस वी गोपाल गौड़ा की खंडपीठ ने केरल निवासी याचिकाकर्ता केपी मनु के संबंध में कहा कि एक दलित, जिसके माता-पिता या दादा-दादी ईसाई धर्म अपना चुके हैं वह वापस हिंदू धर्म अपनाने पर अपना एससी का दर्जा कायम रख सकता है. अगर उसके समुदाय ने उसे जाति से बाहर किया होता तो बात अलग हो सकती थी. इसलिए वापस हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद उसकी जाति बहाल हो सकती है.
कोर्ट ने कहा कि हमारी राय में जाति प्रमाण पत्र का लाभ पाने का दावा करने वाले व्यक्ति को तीन बातें साबित करनी जरूरी हैं. पहला, स्पष्ट प्रमाण होना चाहिए कि वह उस जाति से ताल्लुक रखता है, जिसे संविधान (अनुसूचित जाति) के आदेश, 1950 के तहत मान्यता दी गई थी.
दूसरा, वह साबित करे कि मूल धर्म में फिर से धर्मांतरण हुआ है, जिससे उसके माता-पिता और पुरानी पीढियां ताल्लुक रखती थीं.
तीसरा, इस बात का सबूत होना चाहिए कि हिंदू धर्म में वापस आने वाले शख्स को उसके समुदाय ने स्वीकार कर लिया है. अदालत ने यह फैसला सामुदायिक समिति के सर्टीफिकेट के प्रामाणिक स्क्रूटनी कमेटी के फैसले को दरकिनार कर दिया है.
गौरतलब है कि मनु का जन्म इसाई के रूप में ही हुआ था, लेकिन बरसों पहले उनके दादा मूलत: हिंदू थे, जिन्होंने बाद में ईसाई धर्म स्वीकार किया था. मनु जब 24 साल के हुए तो उन्होंने फिर से विधिवत हिंदू धर्म अपनाया.
उसके बाद उन्हें उनके पूर्वजों की हिंदू पुलाया जाति का सर्टीफिकेट भी जारी किया गया था, लेकिन बाद में एक शिकायत निपटारा समिति ने इस आधार पर उनके सर्टीफिकेट को अस्वीकार कर दिया कि उनके पूर्वज ईसाई थे और खुद मनु ने भी ईसाई युवती से शादी की थी.
वहीं केरल हाई कोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त करने और वेतन के तौर पर दिए गए 15 लाख वसूलने का फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है और मनु को नौकरी पर बहाल करने को कहा है.
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