गोडसे को प्रचार का औजार मत बनाइये : तुषार गांधी

Last Updated 01 Feb 2015 05:33:37 PM IST

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के महिमामंडन की प्रवृत्ति के खिलाफ वैचारिक मुहिम के लिये तैयार बापू के पड़पोते तुषार गांधी ने गोडसे के पक्ष में तर्क देने वाले लोगों पर सीधे सवाल उठाये हैं.


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे

उनका कहना है कि गोडसे को प्रचार का औजार नहीं बनाया जाना चाहिये.

तुषार ने इंदौर में एक साक्षात्कार में कहा, ‘लोगों ने बापू को अपने प्रचार का औजार बना दिया. अब गोडसे को प्रचार का औजार मत बनाइये..पहले गोडसे को समझिये. जो लोग इन दिनों गोडसे के बारे में दुहाइयां देने निकले हैं, आखिर वे उसको कितना जानते हैं. क्या वे गोडसे को सीढ़ी बनाकर अपनी छवि चमकाना चाहते हैं.’

उत्तरप्रदेश में एक हिंदू संगठन द्वारा गोडसे का मंदिर बनाने की घोषणा का जिक्र  किये जाने पर बापू के 55 वर्षीय पड़पोते ने शांत लहजे में कहा, ‘समाज में हर विचार के लिये जगह होती है. जैसे हमें अधिकार है कि हम बापू और अहिंसा की पूजा करें, उसी तरह उन लोगों को भी अपने आदर्शों की भक्ति का अधिकार है जो घृणा, हत्या और द्वेष में आस्था रखते हैं. यह समाज पर छोड़ दिया जाना चाहिये कि उसे किन आदशोर्ं से प्रेरित होना है.’

भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने गत दिसंबर में गोडसे को ‘देशभक्त’ बता दिया था. हालांकि, विपक्ष के पुरजोर विरोध ने उन्हें संसद में अपना विवादास्पद बयान वापस लेने के लिये मजबूर कर दिया था. इस प्रकरण के बारे में पूछे जाने पर तुषार ने कहा, ‘अगर सत्तारूढ़ दल के लोग सबके सामने गोडसे के पक्ष में बात करते हैं, तो मैं इसकी प्रशंसा करता हूं क्योंकि छिप कर गोडसे की भक्ति करने से अच्छा है कि वे खुलेआम उसकी भक्ति करें. इससे हमें इस प्रवृत्ति का प्रतिकार करने के लिये अवसर मिलता है.’ 

तुषार ने कहा, ‘अगर गांधी और गोडसे के नाम पर भारतीय समाज का ध्रुवीकरण किया जा रहा है, तो मैं मानता हूं कि यह ध्रुवीकरण जरूरी है. इस ध्रुवीकरण से पता चलता है कि हमें आम जनता में किस फलसफे का प्रभाव पैदा करना है और किस फलसफे की सचाई लोगों के बीच ले जानी है.’ 

बापू के पड़पोते ने एक सवाल पर कहा, ‘अगर मुझे मौका मिलता है, तो मैं गोडसे की भक्ति करने वाले लोगों से मिलकर उन्हें गांधी की विचारधारा जरूर समझाऊंगा. अगर मैं यह चुनौती स्वीकार नहीं करता हूं, तो बापू पर मेरी आस्था संदेह के घेरे में आ जायेगी.’ 

यह पूछे जाने पर कि मौजूदा हालात में क्या उन राजनीतिक समुदायों को गांधी की विचारधारा के पक्ष में खुलकर मैदान नहीं संभालना चाहिये जो बापू के नाम पर लम्बे वक्त से सियासत करते आये हैं, तुषार ने किसी सियासी दल का नाम लिये बगैर कहा, ‘हमें यह समझना चाहिये कि अवसरवादी लोग कभी भी सचाई के पक्ष में काम नहीं करते. अवसरवादी लोग किसी वाकये का फायदा भर उठाते हैं.’

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में महात्मा गांधी की पिछली जयंती पर शुरू किये गये ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की तारीफ की और सरकार की इस महत्वाकांक्षी मुहिम को वास्तविक धरातल पर कामयाब बनाने के लिये सुझाव भी दिये.

तुषार ने कहा, ‘स्वच्छ भारत अभियान की परिकल्पना बहुत अच्छी है. लेकिन यह मुहिम फिलहाल अधूरे स्वरूप में है. इस मुहिम के तहत लोगों को सफाई के लिये प्रेरित करने के साथ गंदगी न करने के लिये जागरूक किया जाना भी जरूरी है. हमें देश में ऐसी संस्कृति विकसित करनी होगी, जिसमें गंदगी फैलाने को पाप माना जाये.’

यह पूछे जाने पर कुछ सियासी नेता ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का इस्तेमाल महज अपनी छवि चमकाने के लिये करते नजर आ रहे हैं, बापू के पड़पोते ने कहा, ‘अगर नेता केवल फोटो खिंचवाने के लिये झाडू़ उठायेंगे, तो स्वच्छ भारत अभियान भ्रष्ट होता जायेगा.’



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