1984 सिख विरोधी दंगा : दिल्ली विधान चुनाव के बाद SIT का गठन

Last Updated 01 Feb 2015 01:08:25 PM IST

मोदी सरकार 84 सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन कर सकती है.


सिख विरोधी दंगों की दोबारा जांच (फाइल फोटो)

गृह मंत्रालय ने इस बात के संकेत दिए हैं कि केंद्र सरकार जांच के लिए एसआईटी बना सकती है. यह एसआईटी उन 237 मामलों की जांच करेगी, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिए थे या फिर जो मामले अभी कोर्ट में आए ही नहीं. इस बारे में दिल्ली के चुनावों के बाद ऐलान किया जा सकता है.

केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त की गई जस्टिस माथुर कमेटी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश की है.

सूत्रों की मानें तो दिल्ली चुनाव के बाद जांच के लिए एसआईटी बन सकती है। जहां अकाली दल ने इसका स्वागत किया है, वहीं कांग्रेस ने इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े किए.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश(रिटायर्ड) न्यायमूर्ति जी.पी. माथुर की अध्यक्षता में गठित समिति ने पिछले सप्ताह गृहमंत्री राजनाथ सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. समिति ने सिख विरोधी दंगों की एसआईटी से नए सिरे से जांच कराए जाने की सिफारिश की है.

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इस संबंध में कोई आदेश सात फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आने की संभावना है.

गौरतलब है कि 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की  सिख अंगरक्षकों के हत्या किए जाने के बाद सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों में मारे गए 3,325 लोगों में से 2,733 अकेले दिल्ली से ही थे. बाकी लोग उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मारे गए थे.

बीजेपी ने पहले भी सभी सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच किए जाने की मांग की थी. न्यायमूर्ति नानावटी आयोग ने पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में से केवल चार को ही फिर से खोलने की सिफारिश की थी लेकिन बीजेपी अन्य सभी 237 मामलों की फिर से जांच करवाना चाहती थी.

आधिकारिक तौर पर अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि न्यायमूर्ति माथुर समिति ने सिख विरोधी दंगों के कितने मामलों को फिर से खोले जाने की सिफारिश की है. लेकिन सिख दंगों से प्रभावित हुए लोगों की कानूनी लड़ाई लड़ रहे वकील एचएस फूल्का ने बताया कि सभी 237 मामलों की फिर से जांच होगी.

केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति माथुर समिति को 23 दिसंबर 2014 को नियुक्त किया था, जिसका काम एसआईटी से सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच की संभावनाओं का पता लगाना था.



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