केजरीवाल साहब, सदमे में है आप का प्रस्तावक

Last Updated 31 Jan 2015 04:32:50 AM IST

केजरीवाल साहब! शायद आपको याद होगा, जब आप बनारस में लोकसभा चुनाव लड़ने गए थे तो एक जूस बेचने वाला आपका प्रस्तावक बना था.


केजरीवाल साहब, सदमे में है आप का प्रस्तावक रतन कुमार गुप्ता

उसका नाम रतन कुमार गुप्ता है. वह पार्टी के चुनावी पर्चे पर छपी आदर्श इबारत को कुरान की आयत और गीता का श्लोक समझकर आप से दिल लगा बैठा. पार्टी ने भी उसे गले लगाया. प्रस्तावक बनाया. लेकिन चुनाव हारने के बाद आप दिल्ली चले आए. वह आप को पत्र भेजता रहा, लेकिन आप ने कोई जवाब नहीं दिया. मानसिक सदमे के कारण उसे लकवा मार गया है. विश्वासास की डोर टूट गई है. अब वह आप के खिलाफ चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली आया हुआ है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ने गए थे तो पार्टी का चुनावी पर्चा पढ़कर कबीरचौरा के पास जूस बेचने वाला रतन कुमार गुप्ता बेहद प्रभावित हुआ. बनारस के औसानगंज इलाके का रहने वाला रतन अरविन्द केजरीवाल से मिलकर काफी खुश था. लेकिन अब उसका मोह भंग हो चुका है और वह केजरीवाल के खिलाफ प्रचार करने के लिए दिल्ली आया हुआ है. रतन ने औपचारिक मुलाकात के दौरान बताया कि केजरीवाल में आधुनिक युग का हरिश्चंद्र देखा. जूस की दुकानदारी छोड़कर पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया.

बनारस के महमूरगंज इलाके में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में रिस्पेशन पर बैठा दिया गया. आने-जाने वाले लोगों का नाम रजिस्टर में दर्ज करना और लोगों को चाय-पानी पिलाने की जिम्मेदारी संभाल ली.

उसने बताया कि मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, आशीष खेतान के साथ वह पार्टी दफ्तर में रहता था. लोगों की सेवा करता था. एक महीने तक घर नहीं गया. शादी की साल गिरह भी महमूरगंज स्थित पार्टी कार्यालय में ही आप नेताओं के साथ केक काट कर मनाई. पार्टी का स्थापना दिवस पराड़कर भवन में मनाया गया. इस मौके पर प्रो. आनंद कुमार ने मंच पर बुलाकर सम्मानित किया. लेकिन अब सब कुछ बीते जमाने की बात हो गई है.

बकौल रतन, केजरीवाल ने वादा किया था कि चुनाव जीतने या हारने के बाद भी वह बनारस के लोगों के साथ जुड़े रहेंगे, लेकिन हारने के बाद मुड़ कर कभी पूछा तक नहीं. दो-दो बार पत्र भेजा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. दिसम्बर महीने में आकर केजरीवाल की सहयोगी को पत्र दिया. फिर भी कोई जवाब नहीं मिला. रतन ने बताया कि केजरीवाल के व्यवहार से उसे मानसिक आघात लगा है. पिछले महीने लकवा मार दिया. लोकसभा चुनाव के दरम्यान जूस की दुकान टूट गई. पूंजी खत्म हो गया. तीन बेटे हैं. गरीबी के कारण एक बेटे को बहन के पास पालन-पोषण के लिए भेज दिया. पत्नी अब दूसरे के घरों में काम कर रही है. ये सब बातें केजरीवाल से मिलकर बताना चाहता था. लेकिन उनके पास अब समय नहीं हैं.

रतन ने बताया कि कुछ दिन पहले से दिल्ली आया हुआ है. आप कार्यालय का चक्कर काट चुका है. केजरीवाल से मिलने वीपी हाउस गया था. वहां से निकलते हुए केजरीवाल ने देखा और हाल-चाल पूछकर गाड़ी में बैठ कर चले गए. रतन ने कहा कि मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही केजरीवाल हैं. केजरीवाल से विश्वासास ही टूट गया. अब फिर केजरीवाल के पास कभी नहीं जाऊंगा. दिल्ली विधानसभा चुनाव भर रहूंगा और उनके खिलाफ प्रचार करूंगा.

रविशंकर तिवारी
एसएनबी


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