हादसों के बाद ध्रुव हेलीकॉप्टर की उड़ान पर इक्वाडोर में लगी रोक, भारत सरकार चिंतित
इक्वाडोर में भारत निर्मित ध्रुव हेलीकॉप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद वहां इस श्रेणी के बाकी हेलीकॉप्टरों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी गयी है.
ध्रुव हेलीकॉप्टर (file photo) |
भारत सरकार के लिये चिंता का विषय बन सकता है क्योंकि वह अपने सैन्य आयुधों के निर्यात के विस्तार की योजना बना रही है.
इक्वाडोर की वायुसेना ने वर्ष 2009 में अनुमानत: 4.5 करोड़ डॉलर के सौदे के तहत सरकारी कंपनी एचएएल से सात धुव हेलीकॉप्टर खरीदे थे.
दो हेलीकॉप्टर पहले दुर्घटना के शिकार हो गए थे जबकि दो हाल ही में एक पखवाड़े के अंतराल पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए.
सत्ताइस जनवरी के हादसे के बाद अखबार अल यूनिवर्सों के अनुसार वहां के सुरक्षा मंत्री सीजर नवास ने कहा, ‘‘तीन विमानों का परिचालन रोक दिया गया है क्योंकि उनकी पूरी तरह जांच की जा रही है.’’
स्थानीय मीडिया के अनुसार 27 जनवरी को इक्वाडोर के अमेजन क्षेत्र में सैन्य अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद धुव हेलीकॉप्टर एफएई 605 में आग लग गयी थी. हस हादसे में दो लोग घायल हुए थे. वर्ष 2009 से हादसे का शिकार होने वाला यह चौथा धुव हेलीकॉप्टर है.
संयोग से यह हादसा ऐसे वक्त हुआ जब एक भारतीय टीम पहले से ही वहां 13 जनवरी की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच के लिए है.
एचएएल अध्यक्ष आर के त्यागी ने 13 जनवरी के हादसे के सिलसिले में कहा, ‘‘जो कुछ हुआ उसकी जांच के लिए हमारी टीम पहले से वहां है. दुर्घटना प्रशिक्षण के दौरान हुई थी.’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दूसरी दुर्घटना के बाद अब दूसरे महाप्रबंधक (मरम्मत एवं रखरखाव) को इस उत्तरपश्चिम दक्षिण अमेरिकी देश में भेजा जा रहा है.
उन्होंने बताया कि एक संयुक्त जांच के दौरान तकनीकी एवं मानवीय भूल समेत सभी कोणों पर गौर किया जाएगा.
एक बड़ा हादसा फरवरी, 2014 को हुआ था जब एक धुव हेलीकॉप्टर गुआयाक्वि से क्विटो जाने के रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसके चालक दल के चार में तीन सदस्यों की मौत हो गयी थी. वहां की वायुसेना को दिए गए इस हेलीकॉप्टर का उपयोग कभी कभी राष्ट्रपति राफेल कोरिया का लाने-ले जाने के लिए भी किया जाता था.
पहले अक्तूबर, 2009 में एक धुव हेलीकॉप्टर क्विटो में सैन्य समारोह के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और पायलट एवं सह पायलट घायल हो गए थे.
ध्रुव हेलीकॉप्टर वर्ष 2002 में भारतीय सेना में शामिल किए गए थे.
एचएएल की इस हेलीकॉप्टर के लिए एक बड़ी योजना है वह पहले ही मालदीव, मॉरीशस और नेपाल को उसका (असैन्य एवं सैन्य संस्करणों) निर्यात कर चुका है.
इन घटनाओं से सरकार के लिए चिंता पैदा हो सकती है जिसकी सैन्य आयुध को निर्यात करने की मंशा है. इन घटनाओं से गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं.
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