जयंती नटराजन ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, कहा कांग्रेस हाई कमान में समस्या

Last Updated 30 Jan 2015 01:24:44 PM IST

यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है जयंती ने राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कांग्रेस से किनारा कर लिया है.


जयंती नटराजन ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा (फाइल फोटो)

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, यह मेरे लिए बेहद दुखद दिन है. हमारी तीन पीढ़िया कांग्रेस से जुड़ी हैं.  अब कांग्रेस से अलग रहने पर विचार करना पड़ रहा है. यूपीए में कई मंत्री मेरे खिलाफ हो गए थे.

मेरे ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए. राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने मेरी उपेक्षा की, मुझे मिलने तक का समय भी नहीं दिया. मैंने हमेशा नियमों के मुताबिक ही निर्णय लिए हैं. फिलहाल मेरा किसी भी पार्टी में जाने का इरादा नहीं है.

जयंती नटराजन ने कहा, 'मैंने पार्टी की हर बात मानी, मगर मुझे क्यों हटाया गया था, कुछ पता नहीं. अभी मेरा किसी और पार्टी को जॉइन करने का इरादा नहीं है.' कांग्रेस हाई कमान पर हमला करते हुए जयंती ने कहा कि राज्य कांग्रेस से कोई विवाद नहीं. समस्या हाई कमान से है. मुझे मैडम सोनिया गांधी से मिलने का वक्त नहीं दिया गया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में ही जयंती ने कांग्रेस से अपने रिश्ते की बात कही. उन्होंने कहा कि मेरे लिए ये दर्द भले पल हैं क्योंकि मेरा परिवार कांग्रेस के साथ इसके गठन के वक्त से है.

हालांकि उन्होंने यह कहते देर नहीं लगाई कि अब वक्त आ गया है जब मुझे कांग्रेस से जुड़े होने पर पुनर्विचार करना पड़ेगा. यह कांग्रेस वह नहीं है, जिसके साथ मैं जुड़ी थी.

जयंती ने कहा कि मेरा अनुभव बेहद खराब रहा है और सोनिया गांधी ने मुझसे मंत्री पद से इस्तीफा मांगा  इस्तीफे से पहले कहा गया कि पार्टी को मेरी ज़रूरत है और इस्तीफे के अगले दिन गलत आरोप लगाए इस्तीफे के बाद कहा गया, पार्टी को मेरी ज़रूरत नहीं थी.

नटराजन लिखती हैं, 'मुझे लगता है कि मुझ पर दबाव बनाया गया और मुझे ऐसे मुद्दे उठाने को कहा गया जिन्हें मैं गलत मानती थी. एक मामला था जिस पर मुझे बहुत गुस्सा आया था. जब मैं मंत्री थी मीडिया में स्नूपगेट के नाम से मशहूर मामले में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने के लिए बुलाया गया.'

नटराजन कहती हैं कि उन्होंने मोदी पर हमला करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने लिखा, 'मैंने शुरुआत में इनकार कर दिया था क्योंकि मुझे लगता था कि पार्टी श्रीमोदी पर नीतियों और गवर्नेंस के आधार पर हमला करना चाहिए और किसी अनजान महिला को विवाद में नहीं घसीटना चाहिए.

16 नवंबर 2013 को श्री अजय माकन ने मुझे फोन किया. तब मैं दौरे पर थी. उन्होंने मुझसे दिल्ली आकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को कहा. मैंने अपनी नाखुशी जाहिर की और बताया कि मैं मंत्री हूं और यह मामला सरकार का रुख नहीं लगना चाहिए. मैंने सुझाव दिया कि पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता को इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए. पर माकन ने बताया कि यह फैसला 'उच्चतम स्तर पर' लिया गया है और मेरे पास कोई विकल्प नहीं है.'

नटराजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखा था एक पत्र

नवंबर में नटराजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में नटराजन ने आरोप लगाया था कि पार्टी के कुछ लोग मीडिया के जरिए उनके खिलाफ दुष्प्रचार की मुहिम छेड़े हुए हैं. नटराजन के मुताबिक यह मुहिम तब शुरू हुई, जब राहुल गांधी पर्यावरण के पक्ष में अपनाया रुख छोड़कर कॉर्पोरेट प्रेमी हो गए थे.

नटराजन लिखती हैं, 'मुझे राहुल गांधी और उनके दफ्तर से खास अनुरोध (जो हमारे लिए निर्देश) होते थे, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पर्यावरण को लेकर चिंताएं जाहिर की जाती थीं. मैंने उन अनुरोधों का पालन किया.'

नटराजन ने इस पत्र में लिखा है कि राहुल गांधी अनुरोध भेजते थे लेकिन यह हमारे लिए आदेश सरीखा होता था. उन्होंने आरोप लगाया है कि जब उन्हें पार्टी के काम के बहाने मंत्रीपद से हटाया गया, उसके एक दिन बाद फिक्की के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने व्यापारियों से कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.

नटराजन लिखती हैं कि राहुल गांधी खुद नियामगीरी गए थे और वहां उन्होंने खुद को आदिवासियों का सिपाही बताया था, जिसके बाद उनके दफ्तर ने इस बारे में मुझे सूचित भी किया था. नटराजन के मुताबिक उसके बाद उन्होंने वेदांता के प्रॉजेक्ट को मंजूरी नहीं दी थी और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके रुख को सही बताया.

इस पत्र के मुताबिक नटराजन ने राहुल और सोनिया गांधी से मिलने की कई बार कोशिश की लेकिन उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा. यहां तक कि उन्हें पार्टी के लिए काम करने के नाम पर मंत्रीपद से हटाकर दरकिनार कर दिया गया.

उन्होंने इशारा किया है कि कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें हटाया गया. वह लिखती हैं, 'मेरे बाद मंत्री बने श्रीमोइली ने मेरे सारे फैसले पर रोक दिए. इस्तीफे से कुछ दिन पहले मुझे कुछ कानूनी मुद्दों पर अडाणी की फाइल की समीक्षा करनी थी.

जब मैंने फाइल मांगी तो बताया गया कि वह खो गई है. काफी खोजबीन के बाद अधिकारियों को फाइल मिल गई.

बताया गया कि यह कंप्यूटर सेक्शन के वॉशरूम में थी लेकिन यह मिली उसी दिन, जिस दिन मुझे हटाया गया. जाहिर है कि मेरे मंत्रालय में तब कुछ ऐसे अफसर थे, जो वह फाइल मुझे देना नहीं चाहते थे, वजहें मुझे नहीं पता.'



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment