बाल तस्करी, वेश्यावृत्ति मामले में सरकार की उदासीनता से नाराज न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी और वेश्यावृत्ति पर रोकथाम के उपायों के प्रति केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों की उदासीनता पर गहरी नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट |
न्यायमूर्ति अनिल आर दवे न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ ने 1990 के दिशानिर्देशों पर अमल संबंधी रिपोर्ट के लिए गत वर्ष 30 अगस्त को जारी आदेश से राज्य सरकारों को अवगत कराने में केंद्र सरकार द्वारा की गई देरी पर भी असंतोष जताया.
शीर्ष अदालत ने वेश्यावृत्ति उन्मूलन और बाल शोषण रोकने संबंधी कल्याणकारी योजनाओं पर अमल के लिए विभिन्न राज्यों की परामर्श समितियों के कामकाज में स्पष्टता नहीं होने को लेकर भी रोष प्रकट किया. न्यायालय ने कहा कि ये समितियां कुछ राज्यों में 2003 में तो कुछेक में 2005 में गठित हुईं. लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन समितियों की अंतिम बैठक कब हुई.
इस बीच अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन के कौल ने न्यायालय के समक्ष कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्य सरकारों को पत्र लिखे हैं. लेकिन कुछ राज्यों ने पत्राचार का जवाब नहीं दिया है. इस पर खंडपीठ ने कहा केवल पत्र लिखना ही काफी नहीं है. आप पोस्ट ऑफिस की तरह काम नहीं कर सकते. आप पत्र लिखिए और यदि जवाब से संतुष्ट नहीं है तो बताइए.
न्यायालय ने मामले की सुनवाई 18 मार्च तक के लिए मुल्तवी कर दी.
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