अन्ना ने फिर दी लोकपाल के मुद्दे पर सरकार को आंदोलन की चेतावनी
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने हुंकार भरते हुए कहा कि वह लोकपाल के मुद्दे पर नए सिरे से आंदोलन छेड़ेंगे.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (फाइल फोटो) |
करप्शन के खिलाफ लड़ाई के यौद्धा मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने विदेश में जमा काला धन वापस लाने में ‘नाकाम’ रहने को लेकर बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोग इस सरकार को ‘धोखाधड़ी’ के लिए सबक सिखाएंगे.
साथ ही केंद्र सरकार के लिए नई परेशानी खड़ी करते हुए अन्ना ने ऐलान किया कि मोदी सरकार ने जनलोकपाल पर अमल का अपना वादा पूरा नहीं किया और जल्द वह नई टीम के साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेंगे. लोकपाल विधेयक पारित हुए और उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए एक साल हो चुका है. सरकार इस पर अमल करने में लापरवाही बरत रही है.
रालेगण सिद्धि में अन्ना ने बुधवार को दो समाचार टीवी चैनलों को इंटरव्यू दिए. इस दौरान उनके तेवर खासे तल्ख थे और निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे और उनकी सरकार थी. उन्होंने कहा काले धन समेत कई मुद्दों पर मोदी सरकार अपने वादों को पूरा करने में नाकाम साबित हुई है, लिहाजा 15 दिन बाद वह सरकार के खिलाफ नई रणनीति के साथ सामने आएंगे. अन्ना हजारे ने कहा, ‘लोगों के साथ जो धोखाधड़ी हुई है, उससे वे उन्हें (भाजपानीत सरकार को) उसी तरह का सबक सिखाएंगे जैसे उन्होंने कांग्रेस को सिखाया था.
हज़ारे ने कहा, ‘मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि सरकार बनने के 100 दिन के भीतर कालाधन वापस लाएंगे, और हर परिवार को 15-15 लाख रुपए देंगे, लेकिन आज तक 15 लाख रुपए तो क्या 15 रुपए तक नहीं मिले.’
मोदी सरकार ने सिर्फ सब्ज़बाग़ दिखाए, लेकिन किया कुछ नहीं है. उन्होंने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार की रोकथाम को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया.
इसके साथ ही अन्ना ने मोदी सरकार के खिलाफ आंदलोन करने का अल्टीमेटम तक दिया. अन्ना ने कहा, ‘लोकपाल कानून यूपीए सरकार में बन चुका है. सरकार बने 8 महीने हो गए, लेकिन अब तक कानून पर अमल नहीं हुआ है. हम लोगों से बात करेंगे और मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे.’ मोदी ने अच्छे दिन का वादा किया, लेकिन पैसे के बिना आज भी काम नहीं हो रहा है. क्या मोदी ने वोट के लिए ये आश्वासन दिए थे. अगर भ्रष्टाचार को खत्म करना है तो कानून पर अमल करें. अन्ना ने कहा कि मोदी की कथनी और करनी में फर्क है. उन्होंने पूछा कि क्या अच्छे दिन का वादा सिर्फ वोट पाने के लिए था?
साल 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद जनता जाग गई.’ उन्होंने कहा, ‘यह तो स्पष्ट है कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए गंभीर नहीं दिख रहे. आठ महीने में सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया और ना ही लोकपाल बिल को किसी तरह का हलचल दिखी. उन्होंने कहा, ‘हम आंदोलन के लिए लोगों को इकठ्ठा कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि वे नई टीम के गठन के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
अन्ना हजारे की टीम के दो प्रमुख चेहरे रहे किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से उन्होंने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘एकला चलो रे, मुझे किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल की कोई जरूरत नहीं है. मेरे साथ जनता है. मेरे साथ टीम नहीं होने पर मुझे दुखी क्यों होना चाहिए?’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह इन दोनों के राजनीति में जाने से नाराज हैं तो हजारे ने कहा, ‘नहीं. नाराज होने का सवाल तब उठता है जब आपके पास ऐसी अकांक्षाएं हैं जो पूरी नहीं हो सकती. मुझे किसी से कोई अकांक्षा नहीं है तो ऐसे में नाराजगी का सवाल कहां उठता है.’
राजनीति में एक दूसरे के विरोधी बने किरण बेदी और केजरीवाल से अन्ना हजारे ने दूरी बना ली थी. हालही में भाजपा में शामिल हुए किरण बेदी से उन्होंने बात करने से इन कार कर दिया था. अन्ना ने उनकी कॉल उठाने से इनकार कर दिया था. गौरतलब है कि साल 2012 में आम आदमी पार्टी की स्थापना के वक्त किरण बेदी और अन्ना हजारे ने केजरीवाल से दूरी बना ली थी.
Tweet |