राज्यों की मांग है कि जीएसटी लागू होने से पहले मुद्दे सुलझा लिए जाएं

Last Updated 26 Dec 2014 09:40:19 PM IST

केंद्र द्वारा ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद राज्यों ने प्रस्तावित नयी प्रणाली में राजस्व हानि को लेकर अपनी चिंताओं को शीघ दूर किए जाने की मांग की.


वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

राज्य सरकारें यह भी चाहती हैं कि उन्हें और अधिक धन जारी किया जाए तथा केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में उनकी भी बात सुनी जाए. 

केंद्र द्वारा ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद में पेश किए जाने के कुछ दिन बाद आज राज्यों ने प्रस्तावित नयी प्रणाली में राजस्व हानि को लेकर अपनी चिंताओं को शीघ दूर किए जाने की मांग की. राज्य सरकारें यह भी चाहती हैं कि उन्हें और अधिक धन जारी किया जाए तथा केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन में उनकी भी बात सुनी जाए. 

\"\"वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट बैठक की. बैठक में राज्यों ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के विकेंद्रीकरण की मांग भी उठाई. राज्यों का यह भी कहना था कि उन्हें बाजार से ऋण जुटाने का अधिक अधिकार मिले ताकि वे बुनियादी ढांचा विकास के वित्तपोषण के लिए धन आसानी से जुटा सकें.

चार घंटे तक चली बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा, \'\'बजट के लिए नीतियां बनाते वक्त हम इन सभी सुझावों पर विचार करेंगे.\'\'

राज्यों ने यह भी मांग उठायी कि जीएसटी के जल्द से जल्द कार्यान्वयन के लिए 2015-16 के बजट में केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) संबंधी मुआवजे के लिए धन का समुचित प्रावधान किए जाना चाहिए. जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा में पेश किया गया.

राज्यों के वित्त मंत्रियों ने सुझाव दिया कि एफआरबीएम कानून के तहत उनके लिए कर्ज जुटाने की सीमा में ऊंची की जानी चाहिए, जिससे वे बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए धन जुटा सकें. अन्नाद्रमुक शासित राज्य तमिलनाडु ने राजस्व निर्पेक्ष दर, दरों में घट बढ का दायरा (बैंड) और राजस्व हानि के लिए मुआवजे के तौर तरीके तथा सीमा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति के बिना जीएसटी विधेयक को लागू करने का विरोध किया.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने कहा, \'\'यह हमें स्वीकार्य नहीं है. हम यह सुझाव देना चाहते हैं कि भारत सरकार राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को इन मुद्दों पर निर्णय करने की अनुमति दे और उसके बाद ही इस विधेयक को लागू किया जाए.\'\' राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी (टीडीपी) की सत्ता वाले तेलंगाना ने सीएसटी में कमी की वजह से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई करने के लिए बजट में इसका प्रावधान करने की मांग की.

केरल के वित्त मंत्री के एम मणि ने कहा कि राज्यों की चिंता को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए. भाजपा शासित गुजरात ने मांग की कि जीएसटी दरों से ऊपर एक प्रतिशत कर की व्यवस्था को तब तक जारी रखा जाना चाहिए, जब तक राज्य इसको हटाने का सुझाव न दें. 

\"\"बैठक में जेटली ने कहा कि देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती वृद्धि दर को बढ़ाने की है, क्योंकि इससे न केवल आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी बल्कि राजस्व संग्रहण में भी इजाफा होगा.
  
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि विभिन्न अनुमानों के अनुसार 2015-16 में हमारी वृद्धि दर 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहेगी. उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में अच्छी वृद्धि दिखाई दे रही है, हालांकि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि कुछ गड़बड़ है. चालू वित्त वर्ष में देश की वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2013-14 में यह 4.7 प्रतिशत रही थी.

बैठक में हुए विचार विमर्श की जानकारी संवाददाताओं को देते हुए जेटली ने कहा कि केंद्र के जीएसटी प्रस्ताव को जोरदार समर्थन है. इस प्रस्ताव को राज्यों के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है. \'\'हालांकि, राज्य इस बात को लेकर जरूर बेचैन हैं कि सीएसटी का मुआवजा उन्हें जल्दी दिया जाना चाहिए.\'\' बैठक में जनधन योजना व स्वच्छ भारत अभियान पर भी चर्चा हुई.

वित्त मंत्री ने कहा, \'\'बैठक में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काफी विचार विमर्श हुआ. मौजूदा स्थिति में देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए धन की जरूरत है. यह धन उचित ब्याज दर पर उपलब्ध होना चाहिए.\'\'

उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने तो यहां तक इस साल एफआरबीएम सीमा को बढ़ाने का सुझाव तक दे डाला, जिससे बाजारों में तरलता आ सके. जेटली ने कहा कि ज्यादातर राज्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) का विकेंद्रीकरण भी चाहते हैं, जिससे ये राज्य की जरूरतों के साथ ताल मेल बढे. कई राज्यों ने विशेष रूप से खुद से संबंधित मुद्दों पर भी सुझाव दिए.



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