राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीमा, कोयला अध्यादेश को दी मंजूरी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीमा और कोयला क्षेत्र से जुड़े दो अध्यादेशों पर शुक्रवार को हस्ताक्षर कर दिए.
बीमा, कोयला अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर (फाइल फोटो) |
इससे बीमा क्षेत्र में अतिरिक्त विदेशी निवेश आकर्षित करने और रद्द कोयला खानों के फिर से आबंटन करने का रास्ता साफ हो गया है.
सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में नए सुधारवादी उपायों को लागू करने के लिये ये दोनों अध्यादेश लाने का फैसला किया था क्योंकि पिछले दिनों संपन्न संसद के शीतकालीन सत्र में संबंधित विधेयकों पर चर्चा नहीं कराई जा सकी.
राष्ट्रपति भवन के प्रेस सचिव वेणु राजामनी ने कहा कि राष्ट्रपति ने दोनों अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के एक दिन बाद ही मंत्रिमंडल ने बुधवार को बीमा क्षेत्र पर अध्यादेश लाने और कोयला अध्यादेश को फिर से जारी करने को मंजूरी दे दी.
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने उम्मीद जताई थी कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने से देश में 6 से 8 अरब डॉलर का अतिरिक्त पूंजी प्रवाह होगा. वर्तमान में यह सीमा 26 प्रतिशत है. यह संशोधन विधेयक 2008 से लंबित है.
उन्होंने कहा था, ‘‘अध्यादेश सुधारों को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इससे निवेशकों सहित दुनिया को यह संदेश भी जाता है कि देश लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता भले ही संसद का एक सदन एजेंडे पर काम शुरू करने में अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा करे’’.
राज्यसभा की प्रवर समिति की मंजूरी के बावजूद बीमा कानून संशोधन विधेयक, 2008 पर सदन में चर्चा नहीं हो पाई. धर्मान्तरण और अन्य मुद्दों पर विपक्ष द्वारा लगातार सदन की कार्यवाही बाधित किए जाने से ऐसा हुआ.
कोयला खान विधेयक, 2014 को लोकसभा ने मंजूरी दे दी लेकिन उच्च सदन में इस पर चर्चा नहीं हो पाई.
कोयला क्षेत्र पर अध्यादेश फिर से जारी होने पर निजी कंपनियों को उनके स्वयं के इस्तेमाल के लिए कोयला खानों की ई-नीलामी हो सकेगी और राज्य एवं केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को सीधे खानों का आबंटन किया जा सकेगा.
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