राजनाथ ने 84 के दंगे को बताया नरसंहार, पीड़ितों को दिया बढ़ा हुआ मुआवजा

Last Updated 26 Dec 2014 05:40:21 PM IST

1984 के सिख विरोधी दंगों को \'नरसंहार\' करार देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे अनेक लोगों को अभी तक सजा नहीं मिली है जिनकी इस घटनाक्रम में भूमिका रही थी.


84 के दंगे थे नरसंहार: राजनाथ

राजनाथ ने पश्चिम दिल्ली के तिलक विहार इलाके में दंगा पीड़ितों और उनके परिजनों को बढ़े हुए मुआवजे के चेक बांटने के बाद कहा, ‘‘सिख विरोधी दंगों में अनेक लोगों को अभी तक सजा नहीं मिली. मुझे अपनी न्यायप्रणाली में विश्वास है और इन लोगों को निश्चित रूप से सजा मिलेगी’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता है कि जब तक इन लोगों को सजा नहीं मिलती तब तक पीड़ितों को राहत नहीं मिलेगी. मैं आश्वास्त करना चाहता हूं कि सरकार आपके साथ है और बुरे दिनों में भी आपके साथ रहेगी’’.
   
केंद्रीय मंत्री ने एक समारोह में दंगा पीड़ितों के 17 परिजनों को पांच लाख रुपये के चेक वितरित किये.
   
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार 2,459 लोगों को बढ़ा हुआ मुआवजा सत्यापन के बाद जल्द ही दिया जाएगा.
   
सिंह ने यह भी कहा कि उन्होंने 1984 के दंगा पीड़ितों की शिकायतों पर विचार करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में समिति बनाई है.
   
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वास्त करना चाहता हूं कि इस समिति के माध्यम से शिकायतें प्राप्त करने के बाद सरकार इनका समाधान निकालेगी’’.
   
केंद्र सरकार ने हाल ही में 1984 के दंगों में मारे गये सिखों के परिजनों को पांच लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिये जाने की घोषणा की थी.
   
राजनाथ ने कहा कि वह इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहते हैं.
   
1984 के सिख विरोधी दंगों को \'नरसंहार\' करार देते हुए गृहमंत्री ने कहा, ‘‘यह दंगा नहीं था, बल्कि नरसंहार था. सैकड़ों बेगुनाह लोग मारे गये. दंगा पीड़ितों के परिजनों का दर्द करोड़ों रुपये देकर भी कम नहीं किया जा सकता’’.
   
इस बीच दंगा पीड़ितों के कुछ परिजनों ने कहा कि वे चाहते हैं कि मुआवजा देने के बजाय दोषियों को दंडित किया जाए.
   
दंगों में 70 वर्षीय अमरजीत ने अपने पति को खो दिया था. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से चेक प्राप्त करने के बाद कहा, ‘‘पैसे से मेरा दर्द कम नहीं हो सकता और मैं चाहती हूं कि दोषियों को दंडित किया जाए. 30 साल बाद भी मुख्य दोषी आजाद घूम रहे हैं’’.
   
दंगों में अपने पति को खो चुकीं बख्शीश कौर ने भी कहा, ‘‘हम सरकार से कोई उम्मीद नहीं कर सकते. दंगे 1984 में हुए थे, लेकिन न्याय अभी तक नहीं मिला’’.
   
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पैसा नहीं चाहती बल्कि न्याय चाहिए’’.



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