स्वतंत्रता के पहले से होता रहा है धर्मांतरण और घरवापसी : वेंकैया नायडू

Last Updated 22 Dec 2014 10:22:01 AM IST

केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा और संघ के बीच किसी तरह का टकराव नहीं है.


भाजपा-RSS में टकराव नहीं (फाइल फोटो)

आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जिन लोगों का धर्मांतरण हुआ है उन्हें यह अधिकार है कि वे फिर से धर्म बदल कर घरवापसी करें.

नायडू ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी , सरकार और महात्मा गांधी सभी ने यही कहा है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि अगर आप धर्मांतरण को लेकर चिंतित हैं तो धर्मांतरण रोधी कानून बनाएं. इसमें टकराव कहां है.

नायडू ने एक बार फिर दोहराया कि केंद्र सरकार धर्मांतरण रोकने के लिए जबरन या एकतरफा कानून नहीं बनाएगी. इसे आम सहमति से ही किया जाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्मांतरण या घरवापसी पर सरकार को कुछ नहीं करना है.

भाजपा नेता ने कहा कि धर्मांतरण और घरवापसी देश की स्वतंत्रता के पहले से होता रहा है और इसमें नया कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि आर्य समाज और हिंदू महासभा ने उत्तर प्रदेश में 1923 में बड़े पैमाने पर शुद्धि कार्यक्रम आयोजित किए थे.

उन्होंने कहा कि देशभर में हजारों-लाखों लोगों का धर्मांतरण किया गया, लेकिन विपक्षी पार्टियों को इसकी चिंता नहीं है. नायडू ने कहा कि धर्मांतरण लोगों की पसंद का विषय है और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है. मैं केवल यह रेखांकित करना चाहता हूं कि जब प्रलोभन के आरोप लगते हैं, तब आप इस पर बात नहीं करते.

उन्होंने कहा कि जब हिंदू का धर्मांतरण होता है तब लगता है कि कोई मुद्दा नहीं है. लेकिन अगर दूसरे धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तन होता है तो आपको लगता है कि यह बड़ा मुद्दा है.

उन्होंने कहा कि अगर कहीं जबरन या प्रलोभन के जरिये धर्मांतरण या घरवापसी होता है तो यह गलत है और राज्य सरकार इस पर कार्रवाई करेगी. अगर यह महसूस किया जाता है कि राज्य सरकार के कानून पर्याप्त नहीं हैं तो देशस्तरीय कानून की जरूरत होगी.

उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक धर्मांतरण पर किसी को आपत्ति नहीं है. जब जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण होता है तो इससे समाज में तनाव व्याप्त होता है और तब सरकार को इसमें दखल देना होगा.

सरकार धर्मांतरण पर चर्चा को तैयार

नायडू ने राज्यसभा में कार्यवाही ठप्प किये हुए विपक्ष से अपील की कि वह धर्मांतरण के मुद्दे पर चर्चा करे और अपने विचारों को प्रकट करे लेकिन जनहित में सदन में प्रतिरोध उत्पन्न न करें.

नायडू ने कहा कि वह विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि वे जनहित में राज्यसभा में कामकाज होने दें.उ न्होंने कहा कि विपक्ष किसी भी मुद्दे पर बहस कर सकता है. चर्चा के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. लेकिन सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है.



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