सरकार को कोयला विधेयक पर जल्दबाजी नहीं करना चाहिये : आनंद शर्मा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को कोयला विधेयक पारित कराने को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये क्योंकि इसमें परस्पर विरोधाभासी प्रावधानों के चलते कानूनी विवाद बढ़ सकते हैं.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा (फाइल फोटो) |
राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता शर्मा ने शनिवार को दिल्ली में फिक्की की वाषिर्क आम बैठक को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘कोयला विधेयक पर बिना गहन जांच पड़ताल के जल्दबाजी क्यों की जा रही है.. नये विधेयक की बारीकी से छानबीन की जरूरत है. इससे देशभर में नये विवाद खड़े होंगे. इसमें परस्पर विरोधी प्रावधान हैं. इसमें कानूनी चुनौती मिल सकती है.’’
कांग्रेस नेता का यह बयान ऐसे समय आया है जब कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक राज्यसभा में लंबित है. लोकसभा इसे 12 दिसंबर को पारित कर चुकी है. राज्यसभा में विपक्ष विधेयक को गहन समीक्षा के लिये प्रवर समिति को भेजने की मांग कर रहा है.
कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक में 204 कोयला खानों की नीलामी कर उन्हें फिर से आबंटित करने का प्रावधान किया गया है. विधेयक इस संबंध में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा. उच्चतम न्यायालय ने सितंबर में इन कोयला खानों का आवंटन रद्द कर दिया था.
पूर्व केन्द्रीय मंत्री शर्मा ने कहा, ‘‘मेरा कर्तव्य बनता है कि इसकी (कोयला विधेयक) गहराई से समीक्षा की जाये क्योंकि इसमें राष्ट्रीय संसाधनों की बात की गई है. हमारा मानना है कि राज्यसभा को इस विधेयक को प्रवर समिति के सुपुर्द कर देना चाहिये जो कि समयबद्ध तरीके से काम करती है. संसद के एक सत्र से दूसरे सत्र के बीच निर्णय लिया जाता है और रिपोर्ट सौंप दी जाती है. इसमें स्थायी समिति की तरह वषोर्ं नहीं लगते हैं.’’
कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि नया विधेयक लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि कोयला खानों की नीलामी के लिये पारदर्शी नीति पहले से मौजूद है. ‘‘लेकिन एक दूषित वातावरण बना दिया गया है, निर्णय इस तरह लिये जा रहे हैं कि हर फैसला जो लिया गया वह गलत था और उसमें घोटाला हुआ.’’
उन्होंने जानना चाहा कि तथाकथित घोटाले से किनको फायदा पहुंचा है. शर्मा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सही निर्णय किया.
शर्मा ने कहा, ‘‘नये विधेयक की जरूरत कहां है .. नीलामी मौजूदा कानून के तहत ही हो सकती है.’’ उन्होंने कहा कि नये विधेयक में एक तरफ मौजूदा कानून के प्रावधानों को रखा गया है जिसमें निजी क्षेत्र को खनन की अनुमति नहीं है जबकि दूसरी तरफ इसमें निजी क्षेत्र को खनन की बात की गई है. जहां तक बीमा विधेयक का सवाल है वह पारित होगा. विपक्ष दिल से सुधारवादी है.
शर्मा ने कहा कि संप्रग सरकार के कामकाज की समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है. आज बहस इस बात को लेकर नहीं है कि कौन सुधारवादी है और कौन उसमें अवरोध खड़ा कर रहा है. ‘‘हम जब दूरसंचार क्षेत्र, नागरिक विमानन क्षेत्र को खोल रहे थे तो उसका विरोध हुआ. हम लड़े और हम जीते. बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में भी काफी विरोध हुआ. हमने ही रक्षा क्षेत्र को खोलने की शुरआत की. इस क्षेत्र के बारे में हमारी सोच में कोई बदलाव नहीं आया. यह सरकार कई मुद्दों को लेकर दावा कर रही है जिसे हम पहले ही शुरू कर चुके थे.’’
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