मनरेगा को कमजोर कर रही है सरकार: विपक्ष
विपक्ष ने सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ को कमजोर करने का आरोप लगाया है.
संसद |
विपक्ष ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि इससे करोडों लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो जाएगा.
मनरेगा को कथित रूप से निष्प्रभावी बनाए जाने के बारे में नियम 193 के तहत चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के धनंजय महादिक ने कहा कि देश के करोडों लोगों की रोजीरोटी इस योजना से जुडी है. इसमें कमियां हो सकती हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है लेकिन योजना को बदलना या उसे बंद करना इसका समाधान नहीं है.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में मनरेगा के तहत जल संरक्षण, लघु सिंचाई. छोटी सडकों और कुओं के निर्माण जैसे कई अच्छे काम हुए हैं. लेकिन यह भी सच है कि दस राज्यों में यह योजना फ्लाप रही है. इसी असंतुलन की वजह से इसका बजट 40 हजार करोड रू पए से घटाकर 33 हजार करोड रूपए कर दिया गया था. उन्होंने सुझाव दिया कि मजदूरों को 15 दिन के भीतर ई-पेमेंट से होना चाहिए.
मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के राजीव साटव ने कहा कि पिछले सात महीने में ग्रामीण मंत्रालय के तीन-तीन मंत्री बदले गए हैं. यह इस बात का सबूत है कि सरकार इस योजना को लेकर कितनी गंभीर है. तेलंगाना राष्ट्रीय समिति केके श्रीधर ने कहा कि इस योजना से करोडों लोगों को लाभ हुआ है और इसके कोई बदलाव नहीं होना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी के प्रहलाद पटेल ने मनरेगा के पैसों का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई करने की मांग की जबकि शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने कहा कि इस योजना के लिए 34 हजार करोड रूपए का बजट नाकाफी है. उन्होंने साथ ही दैनिक भुगतान की राशि बढाकर 350 रू पए करने की भी मांग की.
भाजपा प्रहलाद जोशी ने कहा कि अगर इस योजना में कोई खामी है तो उस पर चर्चा करने में विपक्ष को कोई परहेज नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई वर्षो से यह योजना चल नही है लेकिन गांवों से पलायन नहीं रू का है और वे आज वृद्धाश्रम बनकर रह गए हैं.
इस योजना से गांवों में स्थायी काम होना चाहिए और इसका सामाजिक आडिट होना चाहिए.
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