सहारा-सेबी विवाद : निवेशकों के सत्यापन में सुस्ती पर सेबी को फटकार

Last Updated 18 Dec 2014 05:35:57 AM IST

सहारा के निवेशकों के सत्यापन में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को फटकार लगाई है.


सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने लगभग ढाई साल पहले उसे निवेशकों के सत्यापन का निर्देश दिया था. लेकिन अभी तक यह काम बहुत सुस्त रफ्तार से चल रहा है.

जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर, जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 31 अगस्त, 2012 के निर्णय के तहत सेबी को निवेशकों के सत्यापन का काम पूरा करना है. सेबी ने बताया कि वेरिफिकेशन में उसके 600 कर्मचारी कार्यरत हैं और अभी तक करीब 90 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं.

बेंच सेबी के वकील अरविंद दत्तार की इस दलील से सहमत नहीं थी कि सहारा जिन लोगों का पैसा लौटाने का दावा कर रहा है, उसकी सूची उसे सौंपी जाए. बेंच ने कहा कि सेबी सुप्रीम कोर्ट के ढाई साल पहले दिए गए आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है.

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से जानना चाहा कि वह निवेशकों के सत्यापन के लिए क्या कर रहा है. सहारा के वकील एस गणोश ने अदालत को बताया कि निवेशकों के वेरिफिकेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो तरीका बताया था. सेबी उसका पालन नहीं कर रहा है. 

सेबी ने अदालत को बताया कि अभी तक दो हजार 781 निवेशकों का सत्यापन किया जा चुका है. इन निवेशकों को लगभग 28 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. इनमें से अधिसंख्य निवेशकों की एक से अधिक जमा राशियां हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सेबी ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं तो इन निवेशकों का पैसा लौटाया जाए.

बुधवार की सुनवाई पर सहारा के वकील केशव मोहन ने कहा कि विदेशों में स्थित संपत्ति के लिए जूनियर लोन के प्रबंध के लिए सहारा को आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति मिल गई है. बैंक गारंटी का प्रबंध करने के लिए नया ऋणदाता बैंक ऑफ चाइना के लोन का भुगतान करेगा.

घरेलू संपत्ति की बिक्री से प्राप्त लगभग 1900 करोड़ रुपये के चेक अदालत में ही सेबी को सौंपे गए. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्तियों के हस्तांतरण पर रोक का मतलब सहारा को कारोबार करने से मना करना नहीं है. अदालत का मकसद सहारा को उसके कारोबार में बाधा पहुंचाना नहीं है.

सहारा अपना कारोबार जारी रखने के लिए स्वतंत्र है. रिडेम्पशन के मुद्दे पर सेबी के आदेशों के खिलाफ दायर अपील पर अदालत सुनवाई के लिए सहमत हो गई. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख नौ जनवरी मुकर्रर की है.



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