रिकार्डतोड़ मतदान से उड़े राजनीतिक दलों के होश
जम्मू-कश्मीर में पहले चरण में 15 विधानसभा सीटों पर हुए रिकार्ड तोड़ मतदान ने यहां के राजनीतिक दलों के होश उड़ा दिए हैं.
जम्मू और कश्मीर में पहले चरण में रिकार्ड मतदान (फाइल फोटो) |
आतंकवादियों के साथ अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बावजूद भारी मतदान होने से राजनीतिक दल असमंजस में हैं कि इस बंपर मतदान का क्या मायने हैं. घाटी के अलावा चिनाब-वैली में भी जोरदार मतदान हुआ.
बांडीपोरा, जहां मतदान शुरू होते वक्त हल्का धमाका भी हुआ, में भी रिकार्डतोड़ 70 फीसद वोट पड़े. सोनावरी में 80 प्रतिशत तक मतदान हुआ. इसी प्रकार कंगन में 76, गुरेज में 77 और अब्दुल्ला परिवार के पैतृक निर्वाचन क्षेत्र, जिसे वह इस चुनाव में छोड़ चुके हैं, करीब 54 प्रतिशत मतदान हुआ. गांदरबल में एक युवा वोटर ने कहा कि उसने पहली बार यह वोट रोजमर्रा की दिक्कतों से निजात पाने के लिए दिया है.
इस प्रकार सोनावरी के मोहम्मद आसिफ ने कहा कि वह मौजूदा राज्य सरकार के भ्रष्टाचार से तंग आ चुके थे. इसलिए बदलाव के लिए वोट डाला है. बांडीपोरा में एक घर के बाहर जेकेएलएफ लिखा था, वहां मौजूद एक बुजुर्ग मतदाता ने कहा कि उनके इलाके में कोई विकास नहीं हुआ बल्कि यहां अलगाववादियों का हुकुम चलता है. इसी विधानसभा क्षेत्र के एक मतादान केंद्र के बाहर खड़े युवा मतदाताओं ने कहा कि उन्होंने वोट विकास के लिए देने का मन बनाया है.
मंजूर अहमद के अलावा एक युवती शीना ने बताया कि अब तक जितने भी लोग सता में आए उन्होंने यहां के पढ़े-लिखे नौजवानों के लिए कुछ नहीं किया. हम वोट डाल रहे हैं, लेकिन हमें अपने कश्मीर के मसले का हल चाहिए. एक ग्रामीण फारुख अहमद कहते हैं कि उनके गांव में बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ सेवाओं का अभाव है. हमने इस सरकार के खिलाफ वोट डाला है, लेकिन हम लोग सैयद अली शाह गिलानी के प्रशंसक है.
घाटी में जिस प्रकार बुलेट पर बैलट का व्यापक असर दिखाई दिया उससे जानकार मानते हैं कि अधिकतर मतदाता मौजूदा राज्य सरकार से खासे नाराज हैं. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि घाटी का वोट किसी राष्ट्रीय दल की बजाय क्षेत्रीय दल को पड़ा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि नेशनल कांफ्रेंस से नाराज मतदाता पीडीपी के पक्ष में जा सकते हैं.
गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान धारा 370 पर पीडीपी के संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बड़े कड़े बयान दिए थे. हालांकि कुछ लोगों का मानना यह भी है कि पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर खासकर युवाओं में क्रेज बना है. उससे बढ़ा हुआ मतदान भाजपा के पक्ष में दिखाई देता है.
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