दिल्ली में बीजेपी का दावा मिशन 60, नजर दूसरी पार्टी के नेताओं पर

Last Updated 23 Nov 2014 05:14:57 PM IST

दिल्ली में अभी चुनाव की तिथियों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन नेताओं के पाला बदलने का दौर शुरु हो गया है.


दूसरी पार्टी के नेताओं पर मिशन 60 का लक्ष्य (फाइल फोटो)

दिल्ली  में 16 वर्ष से सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष कर रही भारतीय जनता पार्टी ने इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारे मिशन 60 का लक्ष्य रखा है जिसे हासिल करने के लिए उसे दूसरे दलों के नेताओं को साथ लेने में कोई गुरेज नहीं है.

दिल्ली विधानसभा भंग हो चुकी है, अभी चुनाव की तिथियों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन नेताओं के पाला बदलने का दौर शुरु हो गया है.

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा 70 सीटों में से 31 सीट जीतकर सबसे बडे दल के रुप में उभरी थी. एक सीट उसकी सहयोगी अकाली दल को मिली थी लेकिन वह बहुमत के 36 के आंकडे के लिए चार और विधायकों का समर्थन नहीं जुटा पाई.  इस बार भाजपा पहले से ही सतर्क है और वह कोई भी ऐसा मौका नहीं चूकना चाहती जिससे कि उसके हाथ से फिर सत्ता फिसल जाये.

भाजपा ने अपने मिशन को परवान चढ़ाने के प्रयास शुरु कर दिए हैं. इस सिलसिले में पार्टी ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा अध्यक्ष बने महिन्दर सिंह धीर को पार्टी में शामिल कर लिया है.

बताया जाता है कि भाजपा की नजर अभी आप के कई और नेताओं पर है. इन नेताओं में आप से निष्कासित और पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक कुमार वालिया को हराने वाले विनोद कुमार बिन्नी और आप की स्तंभ माने जाने वाली शाजिया इल्मी नाम सबसे ऊपर हैं. 

ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि बिन्नी को भाजपा अपने साथ लाकर उन्हें आप के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतार सकती है. बिन्नी भी
केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लडने की मंशा जाहिर कर चुके हैं.

पिछले चुनाव में केजरीवाल ने नयी दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को भारी मतों से हराकर लगभग उनके राजनीतिक जीवन पर पूर्ण विराम लगा दिया था.

हाल में हरियाणा विधानसभा के संपन्न चुनाव में भी भाजपा ने दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करने से गुरेज नहीं किया था. कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह के अलावा कई अन्य नेता भाजपा से जुड़े. हालांकि सिंह ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन उनकी पत्नी को टिकट दिया गया. सिंह को हाल ही में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कर ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया है. भाजपा ऐसा करके यह संकेत भी देना चाहती है कि अन्य दलों से आने वाले नेताओं को पार्टी में सम्मान देगी.

पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा का अकाली दल के साथ गठबंधन था. भाजपा 68 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और अकाली दल दो सीटों पर. भाजपा ने 31 सीटें जीती थीं जबकि 28 सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे.

अकाली दल एक सीट जीती और एक सीट पर दूसरे स्थान पर रही. लेकिन इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा सातों सीटें कांग्रेस से झटकने में सफल रही. भाजपा  60
विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही थी. आप दस क्षेत्रों में ही बढत पा सकी.

भाजपा का मिशन लोकसभा चुनाव में 60 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी बढत को बनाये रखने का है और इसके लिए वह कोई मौका नहीं गंवाना चाहती है. इसके लिए पार्टी 300 सांसदों की सेवा भी विधानसभा चुनाव में लेना चाहती है.

भाजपा की ऐसी योजना है कि ये सांसद अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के राजधानी में रहने वाले लोगों के साथ बैठक कर पार्टी के पक्ष में मतदान के लिए प्रेरित करें. भाजपा की 2700 बैठकें करने की योजना है.



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