आईएनएस विक्रांत को तोड़ने का काम शुरू

Last Updated 22 Nov 2014 05:39:21 AM IST

भारत के पहले विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को पुर्जा-पुर्जा करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा नामंजूर किए जाने के तीन महीने बाद देश के इस ऐतिहासिक नौसैनिक पोत को तोड़ने का काम शुरू हो गया.


आईएनएस विक्रांत को तोड़ने का काम शुरू

भारत के पहले विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को पुर्जा-पुर्जा करने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा नामंजूर किए जाने के तीन महीने बाद देश के इस ऐतिहासिक नौसैनिक पोत को तोड़ने का काम शुरू हो गया.

इस पोत को तोड़ने के काम का अनुबंध 60 करोड़ रुपए में लेने वाली शिप ब्रेकिंग कंपनी आईबी कमर्शियल्स के अब्दुल जाका ने कहा, हमने विक्रांत को तोड़ने की प्रक्रिया कल से शुरू कर दी है और इस काम को पूरा करने में सात से आठ महीने का समय लगेगा.

इस काम में 200 लोगों को लगाया जाएगा.

जाका ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में इस पोत को सामुद्रिक संग्रहालय में बदलने की याचिका ठुकरा दी थी.

कंपनी ने दक्षिण मुंबई में दारूकाना में पोत विखंडन यार्ड में इस पोत को तोड़ने के लिए विभिन्न सरकारी अधिकारियों से इजाजत ले ली है.

उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले महाराष्ट्र सरकार ने 1961 में नौसेना में शामिल किए गए और जनवरी 1997 में सेवा से हटाए गए पोत का रखरखाव करने में असमर्थता जताई थी.

मैजेस्टिक श्रेणी का यह विमान वाहक पोत 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्व के दौरान पूर्वी पाकिस्तान की नौसैनिक घेरेबंदी में इस पोत ने अहम भूमिका निभाई थी.



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