'जानबूझकर' पैदा किया गया जर्मन और संस्कृत का विवाद: स्मृति ईरानी

Last Updated 21 Nov 2014 07:29:00 PM IST

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन को हटाए जाने को लेकर विवाद 'जानबूझकर' पैदा किया गया है.


मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तीसरी भाषा के रूप में जर्मन को बनाए रखना संविधान का उल्लंघन होता.
     
स्मृति ईरानी ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह जानते हुए कि जर्मन तीसरी भाषा नहीं है, स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में जर्मन की पढ़ाई हो रही थी और यह संविधान का उल्लंधन था. मैंने भारतीय संविधान के तहत शपथ ली है और मैं इसका पालन करूंगी’’.
     
मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय विद्यालय और गोएथे इंस्टीट्यूट, मैक्स मूलर भवन के बीच 2011 में सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे.

इसमें एमओयू में जर्मन को तीसरी भाषा के रूप में पेश किए जाने का जिक्र था और किसी भी चरण में मंत्रालय को इससे अवगत नहीं कराया गया.
      
स्मृति ईरानी ने कहा कि जहां तक छठी से आठवीं कक्षा के प्रभावित छात्रों का सवाल है, केंद्रीय विद्यालयों ने उन छात्रों को कॉसिलिंग मुहैया कराने की शुरूआत कर दी है.

छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में संस्कृत के स्थान पर कोई भी भारतीय भाषा चुनने का विकल्प होगा.
     
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई छात्र तीसरी भाषा के रूप में तमिल का विकल्प चुनता है तो हम सुनिश्चित करेंगे कि तमिल शिक्षक मुहैया हों’’.
    
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले सप्ताह तीसरी भाषा के रूप में जर्मन के बदले संस्कृत शुरू करने का फैसला किया था.



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