कालाधन विश्व शांति के लिए खतरा पैदा कर सकता है : मोदी

Last Updated 21 Nov 2014 07:16:56 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगाह किया कि कालाधन विश्व शांति और सदभाव को अस्थिर कर सकता है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोकतांत्रिक देशों का यह दायित्व बनता है कि वे इस बुराई से मिलकर लड़ें क्योंकि इसका असर केवल किसी देश विशेष तक सीमित नहीं रहता है.

जी20 बैठक में भाग लेने के स्वदेश लौटने के एक दिन बाद मोदी ने एक ब्लॉग लिखा जिसमें उन्होंने कहा है कि ''भारत ने कालेधन के होने और उसको वापस लेने के मुद्दे को विश्व समुदाय के समक्ष प्रमुखता के साथ रखा.'' मोदी ने कहा है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि विश्व समुदाय ने इस मुद्दे पर ध्यान दिया है, ''क्योंकि यह ऐसा मुद्दा है जिसका असर किसी एक देश विशेष तक सीमित नहीं रहता है.''

उन्होंने आगाह किया, ''कालेधन का खतरा विश्व शांति और सौहार्द में खलल डाल सकता है.'' प्रधानमंत्री ने कहा, ''कालेधन के साथ आतंकवाद, मनी लांड्रिंग और मादक पदार्थों की तस्कारी का खतरा भी जुड़ा है.''

प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी दुनिया में कालेधन के खतरे से एकजुट होकर लड़ने पर जोर देते हुये कहा, ''जब लोकतांत्रिक देश कानून के शासन के लिये प्रतिबद्ध हैं तो ऐसे में यह हमारा दायित्व बनता है कि हम इस बुराई से एक साथ मिलकर लड़ें और इस बात को उठाने के लिये जी-20 (सम्मेलन) से बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता था.''

जी-20 शिखर सम्मेलन के परिणामों का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा, ''हमारे प्रयास का फायदा हुआ और बैठक के आधिकारिक वक्तव्य में इस मुद्दे को शामिल  किया गया.''

मोदी ने म्यांमा, ऑस्ट्रेलिया और फिजी की अपनी 10 दिन की यात्रा में पांच शिखर सम्मेलनों में भाग लिया और इस दौरान दुनिया के 38 नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने कहा, ''इस दौरान मैंने एक बात देखी कि पूरी दुनिया भारत को नये सम्मान और बड़े उत्साह से देख रही है. मुझे एक ऐसा विश्व समुदाय दिखाई देता है जो कि भारत के साथ जुड़ने को बहुत अधिक उत्सुक है.''

मोदी ने ब्लॉग में लिखा है, ''हर नेता के साथ हमारी यही चर्चा हुई कि हम कैसे अपने रिश्तों को और विस्तृत, विविधतापूर्ण और व्यापक बना सकते हैं. व्यापार और वाणिज्य संबंधों की मजबूती और उद्योगों को भारत की तरफ आकर्षित करने जैसे मुद्दे इन चर्चाओं का केंद्रीय विषय रहे.''

मोदी ने ब्लॉग में आगे लिखा है, ''तमाम नेता, जिनसे मैं मिला वे सभी भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल को लेकर काफी आशावान हैं और वे भारत आना चाहते हैं ताकि वे भी भारत में उपलब्ध व्यापक और विविध संभावनाओं का हिस्सा बनन सकें.''

प्रधानमंत्री ने कहा है, ''मैं इसे एक सकारात्मक संकेत के तौर पर देखता हूं, इससे हमारे युवाओं के लिये कई अवसर उपलब्ध होंगे और उन्हें सही अनुभव मिलेंगे जिससे उनमें निखार आएगा.'' मोदी ने कहा कि विश्व में विकास की रफ्तार को देखते हुए 'इस तरह के अनुभव' जरूरी हैं. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि ''दुनिया के कई नेताओं ने अगली पीढी की ढांचागत सुविधाओं के विकास और स्मार्ट शहरों की हमारी योजना में भी काफी रूचि दिखाई.''

मोदी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि उनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पिछले 28 वर्ष में पहली द्विपक्षीय यात्रा थी और 33 वर्ष में पहली बार कोई प्रधानमंत्री फिजी गया. पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों पर एक तरह से कटाक्ष करते हुये मोदी ने लिखा है, ''एक तरफ सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति से दुनिया एक जगह सिमट गयी है, लेकिन दूसरी तरफ करीब तीन दशक तक हम इन दो देशों तक नहीं पहुंच सके जब कि दोनों देश अपनी-अपनी दृष्टि से महत्वपूर्ण देश हैं. मैंने सोचा स्थिति बदलनी चाहिये.''

मोदी ने अपने ब्लॉग में कहा है कि इस यात्रा के दौरान उनकी 20 नेताओं के साथ पूर्ण द्विपक्षीय बैठकें हुईं. ''वास्तव में, मुझे दुनिया के हर कोने से आये नेताओं से मिलने का मौका मिला. इन बैठकों में खुलकर, विस्तृत और उपयोगी चर्चा हुई. हमने कई मुद्दों पर लंबी बातचीत की. इस दौरान अनेक उद्योगपतियों से भी मेरी मुलाकात हुई.'' ''पूर्व के देशों की इस यात्रा,'' के बारे में मोदी ने कहा, उन्होंने इस बात पर गौर किया है कि दुनिया भारत से काफी उम्मीद लगाये हुये है.

उन्होंने कहा, ''मुझे उनकी आखों में ऐसी चाहत नजर आई कि भारत विश्व में शांति, स्थिरता और विकास के लिए अपनी भूमिका निभाए. मुझे इसमें अपने युवाओं की ऊर्जा की झलक भी दिखाई दी जो दुनिया में हो रहे तेज बदलावों के साथ कदम से कदम मिलाते हुए आगे बढ़ रहे हैं.'' मोदी ने कहा, ''मैं और विश्वास के साथ आश्वस्त हूं कि भारत दुनिया में सकारात्मक परिवर्तन लाने में अपनी भूमिका निभा सकता है.''

प्रधानमंत्री ने कहा, ''दुनिया भारत की तरफ नये उत्साह से देख रही है.'' हमें इसके प्रत्युत्तर में अपने साझा मूल्यों और लक्ष्यों के प्रति नई प्रतिबद्धता के साथ आगे बढना चाहिए. हम मिलकर भारत और शेष दुनिया के लिये एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं.'



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