गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिये गंगा वाहिनी रक्षक तैनात होंगे : उमा भारती

Last Updated 31 Oct 2014 05:02:33 PM IST

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने शुक्रवार को कहा कि गंगा को औदयोगिक कचरे और प्रदूषण से बचाने के लिये गंगा वाहिनी रक्षक तैनात किये जाएंगे.


केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती (फाइल फोटो)

गंगा को औदयोगिक कचरे और प्रदूषण से बचाने के लिये आईआईटी, प्रदूषण नियंत्रण विभाग और नीरी नागपुर जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गयी है और गंगा स्वच्छता की दिशा में किए जा रहे कार्यों के परिणाम तीन साल के अंदर दिखने लगेंगे तथा 15 वर्ष में गंगा स्वच्छ हो सकेगी.

उमा भारती कानपुर में गंगा में गिरने वाले नालों का निरीक्षण करने शुक्रवार को कानपुर आई थीं. स्टीमर में बैठकर विभाग के अधिकारियों के साथ गंगा का निरीक्षण करने के बाद गंगा तट पर बने सरसैया घाट पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिये गंगा वाहिनी रक्षकों की तैनाती की जायेंगी. यह रेडक्रास की तर्ज पर काम करेगी. इसमें सामाजिक संस्थानों के साथ रिटायर्ड लोगों को भी जोड़ा जाएगा, जो गंगा के किनारों पर तैनात होंगे, इसके अलावा किसी त्यौहार आदि पर इनकी टोली गंगा के तटों पर तैनात रहेगी और लोगो को गंगा को प्रदूषित करने से रोकेगी.

उमा ने बताया कि इन गंगा वाहिनी रक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिये सेना की कुछ टुकड़ियों की सेवाएं तीन साल के लिये लेने पर विचार चल रहा है ताकि वह इनको पूर्ण प्रशिक्षित कर सकें. इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाने की भी योजना है.

उन्होंने कहा कि गंगा नदी में अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां बहाने से रोका नहीं जाएगा, लेकिन यह अस्थियां नदी किनारे न डाली जायें बल्कि नदी के बीच में डाली जायें ताकि वह मछलियों और अन्य जल जंतुओं का भोजन बन सकें और गंगा के किनारे प्रदूषित होने से बच जायें.

उमा ने कहा कि गंगा की धारा को स्वच्छ बनाने के उपायों के तहत आधुनिक शवदाह गृह और विद्युत शवदाह गृहों के निर्माण पर भी जोर दिया जाएगा, लेकिन इन आधुनिक शवदाह गृहों, जिनमें कम से कम लकड़ी खर्च हो, का ब्यौरा देश के साधू संतों के पास भेजा जाएगा और वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इन शवदाह गृहों की दिशा में काम किया जायेंगा.

उन्होंने कहा कि गंगा में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण औदयोगिक कचरे से होने वाला प्रदूषण है इसके लिये उन्होंने आईआईटी कंसोरटियम के वैज्ञानिकों, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों तथा राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट) नागपुर के वैज्ञानिको की एक टीम बनाई है जो औद्योगिक प्रदूषण से गंगा को बचाने के लिये कार्ययोजना पर काम करेगी.

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने का काम 45 दिन में शुरू हो जाएगा और करीब डेढ़ साल के अंदर कुछ परिणाम आने लगेंगे, तीन साल के अंदर अच्छे परिणाम आयेंगे तथा करीब 15 साल में गंगा साफ हो सकेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं चिंतित है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचो पर इस मुद्दे को उठाया है. 

उमा ने कहा कि आज उनका पूरा मंत्रालय गंगा में गिरने वाले नालों का अध्ययन कर रहा है और इसकी रिपोर्ट वह उन्हें सौपेंगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत सभी प्रदेश गंगा को प्रदूषण से मुक्ति के लिये उनकी मदद कर रहे है.



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