काला धन : स्विट्जरलैंड ने पेच फंसाया
स्विट्जरलैंड ने कहा कि स्विस-भारत कर संधि के तहत दी गई सूचना को ‘सिद्धांतत:’ किसी ‘विशिष्ट और सम्बद्ध’ मामले में कार्यवाही को छोड़कर किसी अन्य अदालत या निकाय के समक्ष सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
काले धन पर स्विट्जरलैंड ने पेच फंसाया |
विदेशों में काला धन जमा कराने वाले संदिग्ध व्यक्यिों के नाम सार्वजनिक करने को लेकर जारी बहस के बीच स्विट्जरलैंड ने कहा कि स्विस-भारत कर संधि के तहत दी गई सूचना को ‘सिद्धांतत:’ किसी ‘विशिष्ट और सम्बद्ध’ मामले में कार्यवाही को छोड़कर किसी अन्य अदालत या निकाय के समक्ष सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.
स्विट्जरलैंड की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच टीम, स्विस बैंकों सहित विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा कराए गए काले धन की जांच कर रही है. कर चोरी करने वालों की पनाहगाह होने का लंबे समय से आरोप झेल रहे स्विट्जरलैंड ने भारत की मदद करने और कथित कर चोरी एवं वित्तीय अपराधों के मामलों पर सूचनाओं के अनुरोध का ‘समयबद्ध तरीके ’ से जवाब देने का वादा किया है.
इस तरह की ‘गोपनीय’ सूचनाओं को सार्वजनिक करने के विषय में संधि के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए स्विट्जरलैंड के वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बर्न से कहा दोनों देशों के अधिकारी ‘द्विपक्षीय कर मामलों को लेकर नियमित संपर्क में हैं’ लेकिन उसने किसी विशेष मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को उन 627 भारतीयों की सूची सौंपी जिनके खाते एचएसबीसी बैंक की एक स्विस शाखा में हैं और इन लोगों पर काला धन जमा करने का आरोप है जिसकी जांच चल रही है. यद्यपि यह सूची एक बंद लिफाफे में दी गई, तीन अन्य लोगों के नाम एक दिन पहले ही सार्वजनिक कर दिए गए क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हो चुका है. इस बात पर बहस होती रही है कि बगैर अभियोजन के नामों का खुलासा करने से कर संधियां प्रभावित तो नहीं होंगी जिनके तहत विदेशों द्वारा नाम एवं अन्य ब्यौरे साझा किए जाते हैं.
इस संबंध में सवालों का जवाब देते हुए स्विस फेडरल डिपार्टमेंट आफ फाइनेंस के प्रवक्ता ने कहा कि स्विस-भारत डीटीए (दोहरा कराधान समझौता) में कहा गया है कि ‘समझौता करने वाले देश द्वारा प्राप्त कोई भी सूचना उसी तरह से ‘गोपनीय’ समझी जाएगी जैसा कि उस देश के घरेलू कानून के तहत प्राप्त सूचना समझी जाती है.’ संधि में आगे कहा गया है कि इस तरह की कोई भी सूचना, कर आकलन या संग्रह (सूचना का) से संबद्ध व्यक्तियों या प्राधिकरणों अदालतों व प्रशासनिक निकायों समेत के समक्ष ही सार्वजनिक किया जाएगा.
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