केरल में 700 शराब बारों को बंद करने के लिए अदालत ने दी मंजूरी

Last Updated 30 Oct 2014 08:53:15 PM IST

केरल में सत्तारूढ़ कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार को गुरुवार को उस समय बड़ी राहत मिली जब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नयी मद्य नीति की वैधता को बरकरार रखा.


केरल में बंद हो जाएंगे 700 शराब बार (फाइल फोटो)

न्यायालय की इस व्यवस्था के साथ ही राज्य में छोटे और मध्यम श्रेणी के होटलों से जुड़े 700 शराब बारों को बंद करने का रास्ता साफ हो गया.
   
हालांकि, अदालत ने चार सितारा होटलों और हेरिटेज श्रेणी के होटलों में बारों चलाने की अनुमति दे दी. राज्य सरकार ने पांच सितारा होटल से नीचे की श्रेणी के सभी होटलों में बारों पर प्रतिबंध लगा दिया था.

अदालत ने पांच सितारा होटलों में चल रहे 20 बारों को भी चलने की अनुमति दी है.
   
हाई कोर्ट के फैसले से कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार को प्रोत्साहन मिला है जिसने अपनी नई आबकारी नीति के जरिए 2023 तक पूर्ण मद्य निषेध का लक्ष्य रखा है.
   
न्यायमूर्ति सुरेंद्र मोहन ने राज्य सरकार द्वारा 22 अगस्त को जारी नई आबकारी नीति के खिलाफ केरल के बार मालिकों की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया.

राज्य सरकार ने पांच सितारा श्रेणी से नीचे के होटलों से संबद्ध बारों को बंद करने का आदेश दिया था.
   
मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि अदालत का आदेश राज्य सरकार की आबकारी नीति को मान्यता है.
   
उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि चार सितारा होटलों से संबद्ध बारों को चलाने की अनुमति देना राज्य सरकार के लिए झटका है. उन्होंने कहा कि अब तकरीबन 60 बारों को चलने की अनुमति दी गई है.
   
तिरवनंतपुरम में संवाददाताओं से बातचीत में चांडी ने कहा, ‘‘इसे मद्य नीति को आंशिक मान्यता के तौर पर नहीं देखा जा सकता’’.
   
सत्तारूढ़ यूडीएफ ने राज्य में शराब की उपलब्धता कम करने के मद्देनजर नई शराब नीति अपनाई थी ताकि 2023 तक पूर्ण मद्यनिषेध के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
  
न्यायमूर्ति मोहन ने कहा कि साल 2014-15 की आबकारी नीति हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट और राज्य के कर सचिव की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई.
   
अदालत ने शीर्ष अदालत के फैसले पर भी भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि राज्य पर चार सितारा और उससे ऊपर की श्रेणी के साथ होटलों को बार का लाइसेंस देने से मना नहीं करेगा.
   
अदालत ने कहा कि ऐसी कोई सामग्री पेश नहीं की गई जो इस निष्कर्ष को उचित ठहराए कि 22 अगस्त की नीति को मंत्रिपरिषद का समर्थन प्राप्त नहीं था.
   
न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की सामग्री के अभाव में बार मालिकों की दलील को खारिज किया जाता है.
   
बार मालिकों ने यह दलील देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि बार बंद करने का फैसला ‘जल्दबाजी’ में किया गया और इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस वजह से राज्य को काफी आबकारी राजस्व से हाथ धोना पड़ेगा और इसका पर्यटन पर प्रभाव पड़ेगा.
   
बार मालिकों ने फैसले पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.
   
अदालत ने कहा कि बार मालिक खंडपीठ का दरवाजा खटखटाकर अंतरिम आदेश की मांग कर सकते हैं.
   
सरकार ने इससे पहले 418 निम्न मानदंड वाले बारों के लाइसेंस का नवीकरण करने से इंकार कर दिया था. उसके बाद उसने 312 अन्य बारों को बंद करने का फैसला किया था.



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