मोदी सरकार की 1984 सिख दंगा पीड़ितों को 5 लाख मुआवजे की घोषणा

Last Updated 30 Oct 2014 06:07:58 PM IST

सरकार ने 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों के 3,325 पीड़ितों के परिजनों को पांच पांच लाख रूपए का अतिरिक्त मुआवजा देने का फैसला किया है.


1984 सिख दंगा पीड़ितों को 5 लाख मुआवजा (फाइल फोटो)

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को दिया जाने वाला मुआवजा अब तक सरकार और अन्य एजेंसियों से समय समय पर मिली राशि के अलावा होगा.

दंगा पीड़ित 3,325 लोगों में से 2,733 लोग सिर्फ दिल्ली में मारे गए थे जबकि शेष पीड़ित उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से थे.

नरेंद्र मोदी सरकार को पिछले तीन महीने में विभिन्न सिख संगठनों से कई ज्ञापन मिले थे और सरकार ने इंदिरा गांधी की 30वीं पुण्यतिथि से एक दिन पहले यह फैसला किया.

अधिकारी ने बताया कि नए मुआवजे से सरकारी खजाने पर 166 करोड़ रूपए का भार आएगा तथा इस राशि का भुगतान ‘‘जल्द से जल्द’’ किया जाएगा. उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि अगले कुछ सप्ताहों में राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद सिख विरोधी दंगे हुए थे.

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की संप्रग सरकार ने 2006 में 717 करोड़ रूपए के पैकेज की घोषणा की थी. इसमें दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए साढ़े तीन..साढ़े तीन लाख रूपए के मुआवजे के अलावा घायलों और अपनी संपत्ति गंवाने वालों को वित्तीय सहायता देना शामिल था.

 इस राशि में से सिर्फ 517 करोड़ रूपए ही खर्च हो सके और शेष 200 करोड़ रूपए दावेदारों के बीच विवाद के कारण वितरित नहीं हो सके.

सिख विरोधी दंगों से जुड़े कुछ मामले अब भी अदालतों में चल रहे हैं और कई सिख संगठनों ने आरोप लगाया है कि हिंसा के प्रमुख साजिशकर्ता अब भी आजाद हैं तथा पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है.

वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 की सिख विरोधी हिंसा के लिए माफी मांगी थी और कहा था कि इंदिरा गांधी की हत्या एक ‘‘बड़ी राष्ट्रीय त्रासदी’’ थी और उसके बाद जो हुआ, वह भी ‘‘समान रूप से शर्मनाक’’ था.

उन्होंने कहा था, ‘‘सिख समुदाय से माफी मांगने में मुझे कोई झिझक नहीं है. मैं सिर्फ सिख समुदाय से ही नहीं बल्कि पूरे देश से माफी मांगता हूं क्योंकि 1984 में जो हुआ वह संविधान में वर्णित राष्ट्रीयता की धारणा का निषेध है.’’

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि 1984 के उन दंगों में कांग्रेस के कुछ सदस्य संभवत: शामिल थे, जिसमें निर्दोष लोग मारे गए थे.

उन्होंने कहा था, ‘‘ कुछ कांग्रेसी संभवत: शामिल थे.. एक कानूनी प्रक्रिया है जिससे वे लोग गुजरे हैं..कुछ कांग्रेसी इसके लिए दंडित किए गए हैं.’’

सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले लड़ रहे उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 



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