सारदा घोटाला मामले में सीबीआई ने पहला आरोपपत्र दायर किया
सीबीआई ने करोड़ों रुपये के सारदा घोटाले में बुधवार को अपना पहला आरोपपत्र दायर किया.
सारदा मामले में पहला आरोपपत्र दायर (फाइल) |
आरोपपत्र में कंपनी प्रमुख सुदीप्त सेन, करीबी सहयोगी देवजानी मुखर्जी और निलंबित तृणमूल सांसद कुणाल घोष का नाम है.
सुप्रीम कोर्ट ने पांच महीने पहले जांच एजेंसी को इस मामले की जांच का आदेश दिया था.
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि संलग्नकों के साथ दायर 25 पृष्ठों के आरोपपत्र में तीन आरोपियों- सारदा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन, देबजानी मुखर्जी और सेन के साथ काम कर चुके तृणमूल कांग्रेस के निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष के नाम शामिल हैं.
सूत्रों ने बताया कि पांच कंपनियों का नाम भी आरोपपत्र में शामिल किया गया है. ये कंपनियां सारदा टूर एंड ट्रैवल्स, सारदा गार्डेन्स, सारदा रियल्टी, सारदा कंस्ट्रक्शंस और कुणाल घोष के स्वामित्व वाली स्ट्रेटेजिक मीडिया हैं.
सीबीआई की विशेष अपराध शाखा के जांच अधिकारी ने एजेंसी के वकील के साथ शहर की सत्र अदालत के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोपपत्र दायर किया.
सीबीआई ने आईपीसी की धारा 120बी, 409 एवं 420 और साथ ही प्राइज, चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) एक्ट 1978 की धारा चार और छह के तहत आरोपपत्र दायर किया.
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी दूसरे आरोपी व्यक्तियों की भूमिका और वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिए सीआरपीसी की धारा 173 (8) के तहत भी अपनी जांच जारी रखेगी.
आरोपपत्र उस दिन दायर किया गया जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पोंजी स्कीम घोटाले की जांच के लिए गठित श्यामल सेन आयोग का कार्यकाल बढ़ाने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति आशीष चक्रवर्ती की पीठ ने याचिका खारिज कर दी जब सरकारी वकील ने दलील दी कि आयोग एक प्रशासिनक निर्णय था और कार्यकाल सरकार की इच्छा पर निर्भर करेगा.
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