कोयला ब्लॉक आवंटन: सरकार के अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, वामपंथी दलों-श्रमिक संघों का विरोध

Last Updated 21 Oct 2014 05:26:30 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के आवंटन रद्द किए गए 214 कोयला ब्लॉकों को दोबारा आवंटित करने के उद्देश्य से सरकार के अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है.


कोयला ब्लॉक अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी (फाइल फोटो)

ट्रेड यूनियन और वामपंथी दलों ने सरकार की इस पहल का विरोध किया है.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश की सिफारिश सोमवार शाम ही की थी. राष्ट्रपति ने मंगलवार को इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी.
  
यह कदम कोयला क्षेत्र में चिरप्रतीक्षित सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. अभी तक कोयला ब्लॉकों का आवंटन एक स्क्रीनिंग समिति के जरिए किया जाता रहा है.
  
सुप्रीम कोर्ट ने गत माह फैसले में 1993 से आवंटित 218 में से 214 कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया था. उसके बाद उत्पन्न परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार ने अध्यादेश लाने का यह कदम उठाया है. 
  
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने एक बयान में कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे कोयला क्षेत्र में सुधार के बारे में सरकार की गंभीरता झलकती है. इस कदम से सरकार ने कोयला आपूर्ति के बारे में व्याप्त आशंकाओं पर अंकुश लगाया है’’.
  
उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘अनिश्चितता के बादल छंट चुके हैं और आगे का स्पष्ट रास्ता पेश कर दिया गया है. सीआईआई का मानना है कि सरकार के त्वरित निर्णय का अच्छा संकेत जाता है’’.

अध्यादेश के बारे में सरकार के फैसले के बाद मंगलवार को शेयर बाजार में धातु कंपनियों के शेयरों में तेजी आई.

जेएसपीएल, हिन्डाल्को और टाटा स्टील जैसे प्रमुख शेयरों में उछाल की बदौलत बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 146 अंक चढ़ गया.
  
कोयला खान आवंटन रद्द होने से सबसे ज्यादा प्रभावित कंपनियों में एक नवीन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसपीएल ने कहा कि वह नीलामी प्रक्रिया में भाग ले सकती है.

कंपनी के प्रबंध निदेशक शेषागिरी राव ने कहा, यकीनन, जेएसडब्ल्यू स्टील भी नीलामी में भाग लेगी.

वामपंथी दलों और ट्रेड यूनियनों ने दी हड़ताल की धमकी
  
वामपंथी दलों और कई ट्रेड यूनियनों ने कोयला खानों की ई-नीलामी का विरोध किया है. उन्होंने अध्यादेश में निजी कंपनियों को कोयले की वाणिज्यिक कारोबार की अनुमति देने के प्रावधान का भी विरोध किया और कहा है कि इसे वापस नहीं लिया गया तो वह राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे.
  
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस महासचिव गुरदास दासगुप्ता ने इसे कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को पिछले दरवाजे से घुसाने का फैसला बताया है.
  
मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ने यूनियनों के रख का समर्थन किया है.

अखिल भारतीय कोयला कर्मचारी महासंघ के महासचिव जीवन रॉय ने आगाह किया है कि कोयले के वाणिज्यिक उत्खनन की अनुमति देने वाले प्रावधान को वापस न लिया गया तो इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जायेगी.
  
उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ 5 से 7 नवंबर तक देशभर में धरने आयोजित किये जायेंगे. उन्होंने मांग की है कि रद्द कोयला ब्लाकों को कोल इंडिया के हवाले किया जाये.
  
कोयला आवंटन के बारे में कैग की रिपोर्ट राजनीतिक बवंडर का कारण बन गई थी.

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बिना किसी आधार के स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा किए गए कोयला खानों के आवंटन से सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ.



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