सस्पेंस रहेगा बरकरार, महाराष्ट्र में दिवाली बाद बनेगी सरकार
महाराष्ट्र में दीपावली सस्पेंस में बीतेगी क्योंकि सरकार गठन के लिए नियुक्त किये गये राजनाथ सिंह त्योहार के बाद ही मुंबई जाएंगे.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो) |
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह महाराष्ट्र में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायकों से मुलाकात करने, नेतृत्व के मुद्दे और राज्य में सरकार के गठन पर चर्चा करने के लिए दीपावली के बाद मुंबई जाएंगे.
सूत्रों के अनुसार भाजपा विधायक दल की मंगलवार को मुंबई में बैठक होनी थी लेकिन सभी विधायकों को दीपावली मनाने घर भेज दिया है.
राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में संवाददाताओं को बताया, ‘‘मैं आज नहीं जा रहा. मुझे लगता है कि मैं दीपावली के बाद मुंबई जाऊंगा.’’
सिंह भाजपा के पर्यवेक्षक के तौर पर वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा के साथ भाजपा के विधायक दल का नेता चुनने में विधायकों की मदद करने के लिए वहां जाएंगे.
कौन बनेगा मुख्यमंत्री? अब तक तय नहीं
भाजपा के संसदीय दल के फैसले के अनुसार, सिंह और नड्डा को पहले सोमवार (20 अक्टूबर) को मुंबई जाना था लेकिन फिर उन्होंने इस यात्रा में बदलाव का फैसला किया.
जब उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा के विधायक दल का नेता चुनने में कोई बाधा आ रही है तो सिंह ने कहा, ‘‘नहीं, कोई बाधा नहीं है.’’
अब तक भाजपा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बारे में भी कोई फैसला नहीं किया है.
एकनाथ खड्से और विनोद तावड़े जैसे वरिष्ठ नेताओं की ओर से मिल रही चुनौती से पार पाते हुए महाराष्ट्र में भाजपा के प्रमुख देवेंद्र फड़नवीस का नाम मुख्यमंत्री पद की संभावित पसंद के रूप में सामने आया.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी बताए जाने वाले सिंह अपने पुराने सहयोगी से मुलाकात कर सकते हैं.
बीजेपी को 22 और विधायकों की जरूरत
उल्लेखनीय है राज्य में 15 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है. भाजपा को सर्वाधिक 123 सीटें मिली हैं जबकि दूसरे स्थान पर शिवसेना है जिसे 63 सीटों पर जीत हासिल हुई है.
123 सीटें हासिल करने वाली भाजपा को 288 सदस्यों वाली विधानसभा में आधी सीटों के मापदंड को पूरा करने के लिए कम से कम 22 विधायकों की जरूरत है.
भाजपा और शिवसेना का गठबंधन चुनाव से ठीक पहले सीट बंटवारे के मुद्दे टूट गया था.
शिवसेना साथ आने को तैयार, रखी कई शर्तें
हालांकि, सरकार बनाने में मदद के लिए शिवसेना ने पॉजिटिव संकेत तो दिये हैं लेकिन इसके बदले में उसने भाजपा के सामने कई अहम मांग भी रख दी है.
वह भाजपा से वादा चाहती है कि वह सेना को अपमानित नहीं करेगी. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि भाजपा उसके साथ सम्मानजनक डील करे.
इतना ही नहीं शिवसेना ने भाजपा सरकार में अहम पोर्टफोलियो के साथ उप मुख्यमंत्री पद की भी मांग की है. लेकिन भाजपा ने इसके लिए मना कर दिया है.
शिवसेना की मांग है कि 1995 के फॉर्म्युले पर सरकार बने, जबकि भाजपा इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. भजपा जीती गयी सीटों के आधार पर मंत्रालयों का बंटवारा चाहती है. इसलिए दोनों के बीच डील होना इतना आसान नहीं लगता.
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