कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में रॉफ्टिंग,स्पीड बोट की सुविधाएं जल्द
उत्तर प्रदेश के बहराइच में कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार में रॉफ्टिंग और स्पीड बोटिंग जैसी सुविधाओं का विकास किया जाएगा.
रॉफ्टिंग |
मंडल वन अधिकारी आशीष तिवारी ने बताया, ‘कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार को ईको टूरिज्म में महत्वपूर्ण दर्जा दिया गया है. यहां आने वाले समय में सरकार की योजना पर्यटकों को दुर्लभ वन्यजीवों को देखने और सांस्कृतिक पर्यटन का मौका देने के अलावा रॉफ्टिंग, क्याकिंग ‘पतवार नौका’, याचिंग ‘पाल कश्ती’, स्पीड बोटिंग और वाटर स्कूटर सरीखे आधुनिक मनोरंजन साधन मुहैया कराने की है.’
उन्होंने कहा, ‘योजना के तहत दिल्ली, लखनऊ और गोरखपुर मार्ग से आने वाले घरेलू पर्यटकों तथा नेपाल और बौद्ध परिपथ से आने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ संपर्क मार्ग को उन्नत कराकर वन्यजीव विहार से दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी तक आवागमन की जरूरी सुविधाएं मुहैया करायी जाएंगी.’
तिवारी ने बताया कि पर्यटकों के लिए जंगल में नये आधुनिक गेस्ट हाउस बनाये जा रहे हैं. पर्यटक वन्यजीव विहार की खास पहचान ‘थारू संस्कृति’ से रूबरू हों तथा इस दुर्लभ संस्कृति का आंनद ले सकें, इसके लिए यहां के निशानगढ़ और रमपुरवा रेंजों में बनाये गये मार्गों को ईको मार्ग घोषित किया गया है.
तिवारी ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के एक आदेश में अभयारण्य के भीतर कम से कम पर्यटन की बाध्यता के कारण इसके बाहर के इलाकों को पर्यटन के लिहाज से ज्यादा विकसित किया जाएगा. इस क्रम में अभयारण्य की परिधि से बाहर धर्मापुर झील को विकसित किया जाएगा, जहां ‘वाटर स्पोर्ट्स’ का इंतजाम होगा.
उन्होंने कहा कि जंगल में जानवरों की बसावट पर असर न हो, इससे संबद्ध उच्चतम न्यायालय के आदेश में देश के सभी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव विहारों को ‘नोटीफाइड कोर एरिया’ के 20 प्रतिशत से कम इलाके में ही पर्यटन गतिविधियां संचालित करने को कहा गया है.
तिवारी ने कहा कि आदेश का पालन करते हुए अभयारण्य के 16 प्रतिशत यानी 6392 हेक्टेअर क्षेत्र को ही ईको टूरिज्म के लिए चिन्हित किया गया है.
उन्होंने बताया कि इस बाध्यता के कारण आने वाले दिनों में ईको टूरिज्म हेतु कतर्नियाघाट में चिन्हित तीन रूटों पर एक दिन में केवल 38 चार पहिया वाहन ही जा सकेंगे. इसी बाध्यता के चलते अभयारण्य से सटे किन्तु उसकी परिधि से बाहर के इलाकों में पर्यटन की संभावनाएं तलाशी गयी हैं.
तिवारी के मुताबिक अभयारण्य में डाल्फिन, घड़ियाल और मगरमच्छ सरीखे दुर्लभ जलजीव, तेंदुए, बड़ी संख्या में हिरन और चीतल हैं.
तिवारी ने कहा कि कतर्नियाघाट में अक्सर पर्यटकों को बाघ भी दिख जाते हैं. यहां मौजूद उड़ने वाले वन्यजीवों में दुर्लभ माने जाने वाले गिद्ध की अच्छी संख्या में मौजूदगी प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों अभयारण्य के रमपुरवा जंगल में अति दुर्लभ मानी जाने वाली ‘उड़न गिलहरी’ की निरंतर मौजूदगी ने इस वन्य जीव विहार के महत्व को और बढ़ा दिया है.
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