मशहूर शिया धर्मगुरु और पीडीपी विधायक इफ्तिखार अंसारी का निधन
मशहूर शिया धर्मगुरु और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्षी पीडीपी के विधायक मौलवी इफ्तिखार हुसैन अंसारी का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया. वह 74 साल के थे.
पीडीपी विधायक इफ्तिखार अंसारी का निधन (फाइल फोटो) |
उनके परिवार ने बताया, ‘‘मौलवी इफ्तिखार अंसारी ने तड़के अंतिम सांस ली. वह एक साल से अधिक समय से बीमार थे’’.
उत्तरी कश्मीर में पट्टन विधानसभा सीट से चार बार विधायक निर्वाचित हुए अंसारी के राज्य के शिया समुदाय में बड़ी संख्या में समर्थक हैं. उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है.
पीडीपी विधायक को शहर के जादीबल इलाके में उनके पैतृक कब्रगाह में सुपुर्द-ए-खाक किया गया. कमरवारी स्थित उनके आवास से जनाजा निकालकर उनके शव को कब्रगाह तक ले जाया गया.
उन्होंने 1960 के दशक में राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह 1973 में कांग्रेस के टिकट पर विधानपरिषद का सदस्य बने लेकिन 1977 में वह जनता पार्टी में शामिल हो गए.
उनका जन्म 26 अप्रैल, 1940 को हुआ था. उन्होंने ईरान, मिस्र और इराक में इस्लामिक धर्मशास्त्र का अध्ययन किया था.
अंसारी 1980 के दशक में कांग्रेस में लौट आए और 1983-1987 के दौरान विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे.
कुछ समय तक नेशनल कांफ्रेंस में रहने के बाद 2006 में उन्होंने पार्टी छोड़कर पीडीपी का दामन थाम लिया. नेशनल कांफ्रेंस में रहते हुए वह फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री भी रहे.
2008 में पीडीपी के टिकट पर शिया मौलवी ने चुनाव जीता और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनाया गया था.
विभिन्न दलों के नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया. राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अंसारी के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि एक धार्मिक नेता एवं जन प्रतिनिधि के तौर पर उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया जाएगा.
अंसारी का आखिरी दर्शन करने उनके आवास पर गए उमर ने कहा, ‘‘मेरी संवेदनाएं मौलवी इफ्तिखार अंसारी के परिवार एवं अनुयायियों के साथ हैं. उनके असामयिक निधन से एक ऐसी कमी पैदा हो गई है, जो लंबे समय तक महसूस की जाएगी’’.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अंसारी के निधन पर शोक प्रकट किया और कहा कि अंसारी का निधन उनके लिए और समाज के लिए बड़ा नुकसान है.
अंसारी के योगदान का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि वह ऐसे दिग्गज नेता थे जो राज्य के लोगों के साथ सुख दुख की हर घड़ी में उनके साथ खड़े होते थे और उनको दिशा-निर्देश करते थे.
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