आय से अधिक संपति मामला: जयललिता को नहीं मिली तुरंत राहत, 1 को सुनवाई

Last Updated 30 Sep 2014 07:05:44 PM IST

कर्नाटक हाई कोर्ट जेल में बंद तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की आय से ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा.


छह की बजाय एक को होगी जयललिता मामले में सुनवाई (फाइल फोटो)

अदालत की अवकाश पीठ ने मंगलवार सुबह जमानत याचिका को छह अक्टूबर के लिये स्थगित कर दिया था.

इसके बाद राम जेठमलानी के नेतृत्व में जयललिता के वकीलों ने मामले में त्वरित सुनवाई के लिए अदालत के रजिस्ट्रार से संपर्क किया.
     
उनके वकीलों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. एच. वघेला ने याचिका को अनुमति दे दी है और अब अदालत पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर बुधवार यानी एक अक्टूबर को सुनवाई करेगी.

पहले छह को होनी थी सुनवाई

कर्नाटक हाई कोर्ट ने जयललिता के जमानत आग्रह और दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई छह अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी थी.

जब मामला आदालत में आया तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में विशेष अदालत में विशेष लोक अभियोजक रहे (एसपीपी) जी भवानी सिंह ने न्यायाधीश को बताया कि उन्हें हाई कोर्ट में दायर आपराधिक अपील के लिए एसपीपी नियुक्त किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है.

सिंह ने अदालत से और समय की मांग की जिसपर अवकाशकालीन पीठ की न्यायाधीश रत्नकला ने सुनवाई के लिए मामले को छह अक्टूबर तक स्थगित कर दिया था.

अपनी याचिकाओं में तत्काल जमानत मांगते हुए और अपनी सजा को चुनौती देते हुए जयललिता ने उल्लेख किया है कि उन पर लगे संपत्ति अर्जित करने के आरोप झूठे हैं और उन्होंने कानून सम्मत साधनों से संपत्ति हासिल की थी.

जयललिता ने यह भी तर्क दिया कि निचली अदालत ने कई फैसलों की अनदेखी की गई है और बाध्यकारी प्रकृति के कई आयकर आदेशों और आयकर अपील प्राधिकरण के फैसलों पर विचार नहीं किया, जिसने उनके द्वारा बताए गए आय और व्यय के स्तर को स्वीकार कर लिया था.

पूर्व मुख्यमंत्री की सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरन, पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त पुत्र, और इलावरासी ने भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जमानत मांगी है और अपनी दोषसिद्धि को चुनौती दी है.

न्यायाधीश ने जयललिता पर 100 करोड़ रूपये का और तीन अन्य पर 10-10 करोड़ रूपये का जुर्माना भी लगाया था.

जयललिता ने अपील में अपनी दोषसिद्धि को निलंबित करने का आग्रह किया और 100 करोड़ रूपये का जुर्माना देने से भी इनकार कर दिया.



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