कश्मीर पर कोई वार्ताकार नहीं नियुक्त किया जाएगा :राजनाथ

Last Updated 23 Sep 2014 07:44:03 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर पर किसी भी वार्ताकार की नियुक्ति से इंकार किया है.


केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह

उन्होंने कहा कि पूर्व में इस तरह की परिपाटी कारगर नहीं रही है.

गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि वह वार्ता के खिलाफ नहीं हैं. उन्होंने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कान्फ्रेंस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि वह उन राष्ट्र विरोधियों के साथ ऐसी वार्ता करने के खिलाफ हैं जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलता हो और जो इसके जरिए अपनी राजनैतिक छवि को चमकाना चाहते हैं.

मंत्री से पूछा गया था कि चूंकि संयुक्त खुफिया प्रमुख एन रवि को पूर्वोत्तर के लिए वार्ताकार नियुक्त किया गया है तो क्या कश्मीर के लिए भी इसी तरह के किसी प्रस्ताव की कोई संभावना है.

पाक्षिक पत्रिका ‘गवर्नेंस नाउ’ को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘‘कब तक हम वार्ताकारों की नियुक्ति करते रह सकते हैं. पूर्व की जो परिपाटी रही है उसे अवश्य बंद कर देना चाहिए. इसलिए, मैं जम्मू कश्मीर के लिए वार्ताकार नियुक्त करने के पक्ष में नहीं हूं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब वार्ताकारों को नियुक्त करने पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है. मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं बातचीत के खिलाफ नहीं हूं. लेकिन मैं किसी ऐसी वार्ता के पक्ष में नहीं हूं जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलने वाला हो और जो जम्मू कश्मीर या पूर्वोत्तर में राष्ट्र विरोधी अपनी राजनैतिक छवि को चमकाने के लिए करते हैं.’’

संप्रग सरकार के शासनकाल के दौरान शिक्षाविद राधा कुमार, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पडगांवकर और एम एम अंसारी को कश्मीर पर वार्ताकार नियुक्त किया गया था.

गृह मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार लोगों को सशक्त बनाकर पूर्वोत्तर में शांति बहाल करने को उत्सुक है. वह उन लोगों को सशक्त नहीं बनाना चाहती है जो देश के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.

गृह मंत्री बनने के बाद से उनकी ओर से की गई पहल के बारे में सिंह ने कहा कि वह संचालनात्मक ब्योरे को साझा नहीं करेंगे लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पहला काम सुरक्षाकर्मियों का मनोबल बढ़ाना है. मैंने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि हम अपने बलों को नीचा नहीं दिखाएंगे.’’

यह पूछे जाने पर कि सरकार में महत्वपूर्ण नियुक्तियों से संबंधित मामलों पर नियुक्ति मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (एसीसी) में खुद की उपेक्षा किए जाने पर उन्हें क्या महसूस हुआ, सिंह ने कहा, ‘‘मुझे तिल का ताड़ बनाने की लोगों की प्रवृत्ति पर आश्चर्य होता है. यह प्रक्रियागत मुद्दा है जिसपर अतिरिक्त ध्यान दिए जाने की आवश्यकता नहीं है. मैं वह कर रहा हूं जो मुझे करने की आवश्यकता है.’’

‘दक्षिणपंथी उग्रवाद’ के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘भाजपा का किसी भी तरह के उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है. हमारी पार्टी का दर्शन किसी भी तरह के उग्रवाद की अनुमति नहीं देता है. मैं यह कहूंगा कि समाज में किसी भी तरह का उग्रवाद स्वीकार्य नहीं है. हम उसे मंजूरी नहीं देते.’’

गौरतलब है कि ‘दक्षिणपंथी उग्रवाद’ के साथ भाजपा को अक्सर जोड़ा जाता है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा के कुछ नेताओं के भड़काऊ भाषणों और कथित ‘लव जिहाद’ के खिलाफ उनके अभियान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘‘मैं सार्वजनिक अभिव्यक्ति में संयम बरतने में विास करता हूं. मैं वो बात नहीं सुनता हूं जो सुनने लायक नहीं हो.’’

आतंकवादी संगठन अलकायदा द्वारा भारत केंद्रित वीडियो जारी किए जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि जहां खतरे को गंभीरता से लिया जा रहा है, ‘‘वहीं इस घातक विचार को भारतीय मुसलमानों में से बहुत कम ग्रहण करने वाले हैं. वे भारत की विविधता और लोकतंत्र में गौरव महसूस करते हैं. कुछ त्रुटियां हो सकती हैं लेकिन राज्य उनसे कारगर तरीके से निपटने में सक्षम है.’’

गृह मंत्री से जब आधार और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के काम में कथित ओवरलैपिंग के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई अस्पष्टता है तो उसका जल्द ही समाधान किया जाएगा. यूआईडीएआई के पास जल्द ही 65 करोड़ लोगों से अधिक का डाटाबेस होगा और वह उनके लिए आधार कार्ड तैयार करेगी. यूआईडीएआई और एनपीआर मिलकर काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, हम एनपीआर के तहत अगले साल तक तकरीबन 25 करोड़ नागरिक कार्ड बनाएंगे. इसके तहत आबादी के बड़े हिस्से को कवर किया जाएगा.’’



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