मोदी के सामने बांटा गया अरुणाचल का विवादित नक्शा, कांग्रेस ने उठाये सवाल, कहा- माफी मांगे प्रधानमंत्री मोदी

Last Updated 23 Sep 2014 10:52:24 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में अहमदाबाद में 17 सितंबर को गुजरात सरकार की ओर से अरुणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र बताने वाला भारत का नक्शा बांटा गया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि गुजरात सरकार और चीन के एक प्रांत के साथ तीन एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद गुजरात सरकार के एक अधिकारी ने एक विज्ञप्ति बांटी थी, जिसमें अरूणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था. पार्टी ने मांग की कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर क्षमा मांगें.

कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने अपने ब्लॉग में कहा, ‘‘अब सवाल यह उठता है कि क्या एमओयू में भी इसी खास चित्र (अरूणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाने वाला) को दिखाया गया है. मोदी ने अरूणाचल प्रदेश में अपने चुनाव प्रचार के दौरान भाषण में कहा था कि ‘‘मैं भारत को झुकने नहीं दूंगा, भारत की एक इंच जमीन भी नहीं दूंगा.

माकन ने कहा, ‘‘इस एमओयू में अरूणाचल प्रदेश को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाया गया है. इस बड़ी चूक के लिए प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए.’’

वह 17 सितम्बर को अहमदाबाद में हुई उस बैठक का उल्लेख कर रहे थे जिसमें मोदी की उपस्थिति में गुजरात सरकार और चीन के क्वांगतोंग प्रांत के साथ तीन एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये थे. उसी दिन गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव डी जे पांडियन ने एक विज्ञप्ति वितरित किया, जिसमें क्वांगतोंग प्रांत का नक्शा दिखाया गया.

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में यह चूक हुई है जो कि गंभीर मामला है. इस पर सरकार को सफाई देनी चाहिए. सिंघवी ने कहा कि आम चुनाव से पहले मोदी देश को नीचा न दिखाने की बात कह रहे थे, अब इस पूरे मामले पर उनका क्या कहना है?

सिंघवी ने चीन की ओर से सीमा पर लगातार की जा रही घुसपैठ पर भी चिंता जताई. उन्होंने भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ को ‘निर्लज्ज और खुल्लम खुल्ला’ करार देते हुए कहा कि ऐसा परिदृश्य देश की संप्रभुता और विदेश नीति के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

सिंघवी ने सरकार पर ‘एक बहुत ही गंभीर मसले को हल्के में लेने’ का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री या सरकार में किसी वरिष्ठ व्यक्ति की ओर से कोई बयान नहीं आया है.

उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर एक मुकम्मल बयान देना चाहिए और दृढ़ता पूर्वक चीन के राष्ट्रपति को एक कड़ा पत्र लिखना चाहिए.



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