2जी में घिरे चिदंबरम

Last Updated 23 Sep 2014 06:27:45 AM IST

एयरसेल-मैक्सिस मामले की सुनवाई कर रही विशेष 2जी अदालत को सीबीआई ने सोमवार को बताया कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा सौदे में एफआईपीबी की मंजूरी देना ‘गलती’ थी.


पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (फाइल फोटो)

मामले के जांच अधिकारी ने विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी को बताया, ‘80 करोड़ डॉलर का निवेश था, जो 3500 करोड़ रुपए (अनुमानित) होता है. एफआईपीबी को मंजूरी देना (तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा) गलत था. इसकी जांच हो रही है.’ एजेंसी ने कहा कि वह जांच कर रही है कि 2006 में एयरसेल-मैक्सिस सौदे में चिदंबरम ने कैसे विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दी थी.

इसने कहा कि वित्त मंत्री को 600 करोड़ रुपए तक की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन चिदंबरम ने 80 करोड़ डॉलर की मंजूरी दी जो करीब 3500 करोड़ रुपए होता है. इसने कहा कि मामले को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) के पास भेजा जा सकता था और जांच चल रही है कि चिदंबरम ने कैसे मंजूरी दी.

सीबीआई के अभियोजक केके गोयल ने कहा, ‘आप (न्यायाधीश) ने एफआईपीबी मंजूरी के बारे में पूछा था. हम ऐसे दस्तावेज दिखा रहे हैं, जो तत्कालीन वित्त मंत्री की शक्तियां दर्शाते हैं. तत्कालीन वित्त मंत्री के पास 600 करोड़ रुपए तक की एफआईपीबी मंजूरी देने का अधिकार था.’ उन्होंने कहा, ‘600 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश के लिए मंजूरी देने का अधिकार सीसीईए के पास था. इसकी जांच चल रही है और इस पहलू पर हमारी जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है.’

एजेंसी ने अदालत को अपने आरोपपत्र में बताया था कि मॉरिशस के मेसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंग्स लिमिटेड ने 80 करोड़ डॉलर की मंजूरी मांगी थी, जिसके लिए सीसीईए सक्षम था. यह कंपनी मैक्सिस की सहायक कंपनी है.

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन, टी. आनंद कृष्णन, मलयेशियाई नागरिक अगस्टस राल्फ मार्शल और चार कम्पनियों ; सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड, मैक्सिस कम्युनिकेशन बेरहाड, साउथ एशिया एंटरटेनमेंट होल्डिंग लिमिटेड और एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क पीएलसी को आरोपी बनाया था. उन लोगों पर भादंसं की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप हैं.

कलानिधि मारन की पत्नी कावेरी मारन की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर एजेंसी ने कहा कि भले ही आरोपी कंपनी सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड में उनकी 82 फीसद हिस्सेदारी है लेकिन दस्तावेजों के मुताबिक हर निर्णय उनके पति ने किया था. सीबीआई ने कहा, ‘दस्तावेज में उनकी सीधी भूमिका का पता नहीं चलता है. अगर अदालत हमें आगे का काम देती है तो निश्चित रूप से इस पहलू की जांच होगी.’

अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 13 अक्टूबर तय की. सीबीआई ने 11 सितम्बर को अदालत को बताया था कि पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने चेन्नई के दूरसंचार प्रवर्तक सी. शिवशंकरन को एयरसेल और दो सहायक कम्पनियों में अपनी हिस्सेदारी मलयेशिया की कंपनी मैक्सिस समूह को 2006 में बेचने के लिए ‘दबाव’ बनाया और ‘बाध्य किया.’ इसने कहा था कि मारन मलयेशियाई कंपनी का सहयोग कर रहे थे और दिसम्बर, 2006 में एयरसेल द्वारा अधिग्रहित किए जाने के बाद छह महीने के अंदर लाइसेंस दे दिया गया.

पूर्व दूरसंचार सचिव जेएस शर्मा को भी सीबीआई के आरोपपत्र में नामित किया गया है. शर्मा का निधन हो चुका है. बहरहाल उनका नाम आरोपियों के ऐसे कॉलम में रखा गया है, जिनके खिलाफ सुनवाई नहीं चल सकती. 72 पन्ने के आरोपपत्र में सीबीआई के 151 गवाहों के नाम हैं और 655 दस्तावेज हैं जिन पर सीबीआई अपनी जांच में निर्भर रही.



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