केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा: गंगा की सफाई में लगेंगे 18 वर्ष
गंगा की सफाई के बारे में अपने रुख को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फटकार खाने के बाद मोदी सरकार ने उपायों का एक खाका पेश किया.
गंगा |
केंद्र ने पवित्र नदी गंगा के गौरव को बहाल करने के लिए अल्पावधि, मध्यम अवधि और दीर्घावधि के उपायों का खाका शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किया.
इन कदमों को उठाने में 18 वर्ष से अधिक समय लग जाएंगे और हजारों करोड़ रपये के निवेश की जरूरत होगी.
राजग सरकार ने कहा कि उसने जल अपशिष्ट शोधन और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समेत पूर्ण स्वच्छता को हासिल करने के लिए प्रथम लक्ष्य के तौर पर गंगा के तट पर बसे 118 शहरों की पहचान की है.
उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा गया, ‘‘सम्मानपूर्वक कहा जाता है कि गंगा का कायाकल्प सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योजना में चरणबद्ध तरीके से समय-सीमा का प्रावधान किया गया है.
अल्पावधि के कदमों के लिए तीन साल, मध्यम अवधि के कदमों के लिए अगले पांच साल और दीर्घावधि के कदमों के लिए अगले 10 साल और उससे आगे की समय-सीमा तय की गई है.’’
मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समय सीमा गंगा बेसिन में बसे पांच राज्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है. ये राज्य 2500 किलोमीटर लंबी गंगा की सफाई की परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए प्राथमिक रूप से जिम्मेदार हैं.
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘पहले चरण में 118 शहरों की जरूरी हस्तक्षेप के लिए अस्थायी तौर पर पहचान की गई है ताकि जल अपशिष्ट शोधन और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समेत पूर्ण स्वच्छता लक्ष्यों को हासिल किया जा सके.’’
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘अब तक जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प ने नदी के सामने सात स्थानों की केदारनाथ, हरिद्वार, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, पटना और दिल्ली में घाटों के विकास के लिए पहचान की है.’’
मध्यावधि के लक्ष्य के तौर पर उसने कहा कि एमओयूडी ने गंगा नदी के तट पर 118 शहरी बस्तियों की पहचान की गयी है जहां 51000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सीवर का आधारभूत ढांचा तैयार किया जायेगा और गंगा के तट पर स्थित 1649 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए पहचान की है.
उसने कहा कि दीर्घावधि योजना गंगा नदी बेसिन प्रबंधन योजना से निकलेगी. इसे सात आईआईटी का समूह तैयार कर रहा है.
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