मंगलयान मिशन- लिक्विड इंजन शुरू करने में सफल रहा इसरो
मंगलयान मिशन में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है. इसरो मंगलयान का लिक्विड इंजन शुरू करने में सफल रहा है.
मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में पहुंचा मंगलयान (फाइल) |
मंगल की थाह लेने जा रहे भारत के महत्वाकांक्षी मिशन मंगलयान के तरल इंजन का परीक्षण सफल रहा और साथ ही उसके मार्ग को भी दुरूस्त कर लिया गया है.
इसके साथ ही अब इस यान के 24 सितम्बर को मंगल की कक्षा में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा कि तय कार्यक्रम के अनुसार तरल इंजन को चार सेंकेड के लिए चालू किया गया. साथ ही मंगलयान की दिशा भी दुरूस्त कर ली गई है. यान अब तय कार्यक्रम के मुताबिक मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा.
इसरो के सामने सबसे बडी चुनौती दस महीने से सुषुप्त पड़े मंगलयान के तरल इंजन को चालू करने की थी. इसरो के करीब 200 अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यान पर लगे 440 न्यूटन लिक्विड अपोगी मोटर इंजन को चालू किया और यान की दिशा को भी दुरूस्त किया. मंगलयान की कक्षा को चौथी बार दुरूस्त किया गया है.
इससे पहले भारत के महत्वाकांक्षी मंगलयान ने मंगल ग्रह के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश कर लिया.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को ट्विटर पर यह जानकारी दी. मंगल से 5.8 लाख किलोमीटर दूर से उसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र शुरू हो जाता है.
मंगलयान फिलहाल करीब 22 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चल रहा है और मंगल की कक्षा में प्रवेश के लिए रफ्तार को 1.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड करना जरूरी है.
मंगलयान 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा और इसे अलर्ट मोड में डाल दिया गया है. उसके सभी प्रमुख सेंसरों और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टमों को चालू कर दिया गया है.
24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलूर में इसरो के केंद्र में मौजूद रहकर इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे. भारत अगर अपने मिशन में कामयाब रहता है तो वह मंगल पर सफल मिशन भेजने वाला एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश होगा.
कुल 450 करोड़ रुपए की लागत से तैयार मंगलयान को पिछले साल पांच नवंबर को आंध प्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से धुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी सी-25 के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इस यान के साथ पांच प्रयोगात्मक उपकरण लगे हैं.
इस यान के साथ पांच प्रयोगात्मक उपकरण लाइमैन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर, मार्स कलर कैमरा, थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर और मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजीशन एनालाइजर भेजे गए हैं जो मंगल के वातावरण के बारे में जानकारी जुटाएंगे और इस लाल ग्रह के रहस्यों पर से पर्दा उठाने में वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
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