साईं विवाद: याचिका की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दवे पीछे हटे
साईं बाबा के खिलाफ टिप्पणी करने से शंकराचार्य स्वरूपानंद को रोकने संबंधी एक याचिका की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में उस वक्त टल गई, जब एक जज ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
साईं धाम चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका न्यायमूर्ति अनिल आर दवे और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की खंडपीठ के समक्ष विशेष उल्लेख (मेंशनिंग) के लिए सूचीबद्ध थी. जैसे ही ट्रस्ट के वकील ने मामले का विशेष उल्लेख किया, न्यायमूर्ति दवे ने खुद को सुनवाई से अलग रखने का फैसला किया.
न्यायमूर्ति दवे ने खुली अदालत में कहा कि वह साईं बाबा से संबंधित एक ट्रस्ट के सदस्य हैं. इसलिए वह मामले की सुनवाई से खुद को अलग रखते हैं.
उन्होंने कहा कि इस मामले को किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने शंकराचार्य को साईं बाबा की पूजा अर्चना के विरुद्ध टिप्पणी करने से रोकने और छत्तीसगढ़ के कवर्धा में आयोजित धर्म संसद में लिए गए फैसलों के मद्देनजर मंदिरों से बाहर की गई साईं की मूर्तियों को फिर से स्थापित करने के निर्देश देने की मांग की है.
गौरतलब है कि दो महीने पहले हरिद्वार में पत्रकारों के पूछे गए सवाल से यह विवाद शुरू हुआ. छत्तीसगढ़ में चातुर्मास के दौरान शंकराचार्य स्वरूपानंद ने चैलेंज किया कि कोई भी यह बता दे कि साईं की पूजा क्यों की जानी चाहिए, वे अपनी बात से किनारा कर लेंगे. देश भर में इसे लेकर बहस छिड़ी. कई स्थानों पर लोगों ने मंदिरों से साईं की प्रतिमाएं निकालकर उन्हें विसर्जित कर दिया.
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