अलगाववादी नेता का लेख के जरिये भारतीय सेना पर हमला

Last Updated 17 Sep 2014 02:39:51 AM IST

घाटी में बाढ़ का असर कम होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में खास दिलचस्पी लेने वाले अलगाववादी सोच के लोग अब मीडिया के जरिए भारतीय सेना को कोसने में लगे हैं.


कश्मीरी अलगाववादी नेता डा. गुलाम नबी फई (फाइल फोटो)

इनमें एक प्रमुख अलगाववादी डॉ. गुलाम नबी फई भी हैं, जो वर्ल्ड कश्मीरी अवेयरनेस के महासचिव हैं और पहले भी कई बार भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं.

यह इत्तफाक है या फिर सोची-समझी रणनीति कि घाटी में आम कश्मीरी को निकालने में लगे भारतीय सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी होती है, उसी बीच सरहद पार बैठे लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद धमकीपूर्ण अंदाज में भारत विरोधी बयान देता है और अब गुलाम नबी फई जैसे लोग मीडिया में घाटी में आई बाढ़ को लेकर लेख लिख रहे हैं.

लेख में यह खासतौर से बार-बार लिखा गया कि कश्मीर में आई बाढ़ में फंसे कश्मीरियों को स्थानीय नौजवानों ने मुसीबत से निकाला, जबकि भारतीय सेना देखभाल कर चुनकर लोगों को निकाल रही थी.

गौरतलब है कि प्रकृति की इस त्रासदी में फंसे लोगों की मदद करने के बजाय अलगाववादी नेताओं ने भारतीय सुरक्षा बल के जवानों पर ही पत्थरबाजी का खेल शुरू कर दिया. हालांकि घाटी से ही आवाज उठी कि मुसीबत की इस घड़ी में अलगाववादी सईद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक, मीरवाइज उमर फारुख कहां हैं, लेकिन इसपर कहीं से कोई जबाव नहीं आया.

उधर, इन अलगाववादियों ने भारतीय सुरक्षा बलों को उलझन में डालने के लिए उनपर पत्थराव शुरू करा दिया. इसके बावजूद सुरक्षा बल के जवान जान पर खेलकर बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने में लगे हैं. यह सूरतेहाल जम्मू-कश्मीर में बैठे अलगाववादी नेताओं के अलावा सरहद पार बैठे उनके गुरुओं को भी बर्दाश्त नहीं हो रही.

यही वजह है कि अब लेखों व खबरों के जरिए भारतीय सुरक्षा बलों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है. इसमें कश्मीर में बैठे कुछ पत्रकार और दूसरे मुल्कों में बैठे गुलाम नबी फई जैसे लोग भी शामिल हैं.

सतीश वर्मा
एसएनबी


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