जघन्य अपराधों में समझौता संभव नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जघन्य अपराधों को समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट |
संगीन जुर्म समूचे समाज के खिलाफ किया गया अपराध है. इसे निजी विवाद नहीं कहा जा सकता. दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाने पर संगीन अपराध के ट्रायल को समाप्त नहीं किया जा सकता.
जस्टिस जस्ती चेलमेर और जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने हत्या के प्रयास के एक मामले को दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर दफन करने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट को असीमित अधिकार प्राप्त हैं लेकिन संगीन अपराधों को ट्रायल में जाने से पहले ही समाप्त करने का आदेश समाज के हित में नहीं है. वारदात में अगर पीड़ित को गंभीर चोट आई है और अभियुक्तों ने शरीर के नाजुक हिस्से पर वार किया है तो इससे अपराध और भी गंभीर हो जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराया. हाईकोर्ट ने पीड़ित और हमलावर के बीच सुलह की अनुमति प्रदान कर दी थी जबकि पुलिस अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (जानलेवा हमला) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अदालत में आरोपपत्र दायर कर चुकी थी.
हत्या के प्रयास की वारदात विदिशा में 11 मार्च, 2013 को हुई थी. दीपक घेंगट ने पुलिस में लिखाई रिपोर्ट में कहा कि रात में लगभग दस बजे दीपक नहरिया और मुकेश नहरिया ने उस पर तलवार से हमला किया.
उसी समय पीड़ित का भाई तथा एक महिला वहां आ गए. उनके बीच बचाव के कारण अभियुक्त और ज्यादा वार नहीं कर पाया. वारदात के एक माह के अंदर ही पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कहा कि अभियुक्त इलाके में कुख्यात हैं. उन्होंने पीड़ित को धमकाकर सुलह सफाई की अर्जी दायर की है. पीड़ित ने स्वेच्छा से अपनी सहमति नहीं दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 320 के तहत दोनों पक्षों के बीच सुलह के लिए अपराधों की श्रेणी निर्धारित है लेकिन हत्या की कोशिश जैसा संगीन अपराध इस श्रेणी में नहीं आता. सीआरपीसी की धारा 482 का इस्तेमाल करके समझौते की अनुमति प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब वारदात में पीड़ित को गंभीर चोटें आई हों तो ऐसे में ट्रायल को अपने निष्कर्ष पर पहुंचने देना चाहिए. अभियुक्तों ने तलवार से शिकायतकर्ता के माथे, सिर, कनपटी तथा दाएं हाथ पर प्राणघातक हमला किया.
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