दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार भारत को सैन्य उपकरण बेचेगा जापान
भारतीय नौसेना की क्षमता में इजाफा करते हुए भारत और जापान के बीच समुद्र में उतरने लायक एम्फीबियस प्लेन यूएस-2 पर डील पूरी हुई.
भारत को सैन्य उपकरण बेचेगा जापान (फाइल फोटो) |
यह डील इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इस डील के साथ जापान ने किसी भी देश को सैन्य उपकरण न बेचने की अपनी उस पाबंदी को भी खत्म कर दिया है जो उसने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद लगाई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी पीएम शिंजो एबे के बीच तोक्यो में हुई शिखर वार्ता के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत के साथ जापानी एयरक्राफ्ट और जापानी तकनीक साझा करने के तहत यूएस-2 एम्फीबियस एयरक्राफ्ट की डील साइन की गई है.
इसके जरिए भारतीय एयरक्राफ्ट उद्योग के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार किया जा सकेगा. मोदी सरकार की नीतियों को ध्यान में रखते हुए ये प्लेन भारत में तैयार किए जाएंगे.
सात दशक पहले खत्म हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहली बार होगा जब जापान किसी देश को सैन्य उपकरण बेचेगा. अपनी हार के बाद जापान ने हथियार और सैन्य उपकरण बेचने पर पाबंदी लगा दी थी. इसलिए यह डील भारत और जापान के रिश्तों की मजबूती का भी संकेत है.
दोनों ही देश हर तरह से और खास तौर से रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे को पूरा सहयोग कर रहे हैं ताकि चीन की विस्तारवादी नीति और उसके दिन-प्रतिदिन बढ़ते आक्रामक रवैये को चुनौती दी जा सके.
यूएस-2 सबसे मजबूत विमानों में से एक है। 30-38 किलोमीटर प्रति घंटे की विंड स्पीड पर इसे समुद्र के साथ-साथ नदियों और झीलों पर भी ऑपरेट किया जा सकता है. 30 लोगों और 18 टन भार के साथ यह एक बार में 4,500 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है.
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