जम्मू के 14वें दीक्षांत समारोह में बोले राष्ट्रपति, विश्वविद्यालयों को नवोन्मेष को आगे बढ़ाने की जरूरत
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को नवोन्मेष को आगे बढ़ाने की जरूरत है और उनका मुख्य ध्यान उद्योग और सरकार के साथ सहयोगपूर्ण संबंध पर होना चाहिए.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो) |
जम्मू विश्वविद्यालय के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में स्वउद्यमी कोशिशें विभिन्न रूप ले सकती हैं जैसे कि अनुबंध पर शोध करना, परामर्श सेवा देना, पेटेंट, लाइसेंस लेना और कंपनियों को बढ़ावा देना.
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि विश्वविद्यालय छात्रों और अकादमिक जगत से जुड़े लोगों के बीच उद्यम को बढ़ावा देने के लिए सही माहौल बनाए.
विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह सात साल के अंतराल के बाद हो रहा है. पिछला दीक्षांत समारोह 15 जुलाई 2007 को हुआ था जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शरीक हुए थे.
नवोन्मेष और उद्यमशीलता के एक दूसरे से जुड़े पहलू का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि संवृद्धि में नवोन्मेष की प्रमुखता और विकास प्रक्रिया को महसूस करते हुए 2010-20 को ‘नवोन्मेष का दशक’ घोषित किया गया है.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष नीति 2013 में शोध और विकास के जरिए नवोन्मेष को बढ़ावा देने, और अधिक शोध पत्र प्रकाशित करने, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में लैंगिक समानता हासिल करने और वैश्विक सहयोग लेने पर जोर दिया गया है.
आरएंडी मुख्य रूप से निजी क्षेत्र की भागीदारी से आगे बढ़ेगा.
मुखर्जी ने कहा कि यहां विश्वविद्यालय की यह तीसरी धुरी महत्वपूर्ण हो गई है. पहली दो धुरी शिक्षण और शोध है. यह जगजाहिर है कि उद्यम को बढ़ावा देना अकादमिक-उद्योग जगत के बीच संपर्क का हिस्सा है पर यह भारत में अभी भी शुरूआती दौर में है.
कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शरीक हुए. वोहरा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं जबकि उमर ‘प्रो चांसलर’ हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा के समक्ष आज बड़ी चुनौती है. एक बड़े मंच पर, 12वीं योजना ने विस्तार, उत्कृष्टता और समता के साथ तीव्र एवं समावेशी संवृद्धि हासिल करने के औजार के रूप में शिक्षा को उच्च प्राथमिकता दी है.
राज्य स्तरीय संस्थानों का गुणवत्ता उन्नयन को उच्च प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है. यह उच्च शिक्षा की क्षमता में 96 फीसदी भागीदारी रखता है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
उच्च शिक्षा में नवोन्मेष की भूमिका को ध्यान में रखे गए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कई नीतिगत कदम उठाए गए हैं और उन्हें प्रभावित तरीके से लागू किए जाने की जरूरत है ताकि उच्च शिक्षा के ढांचे में नयी जान फूंकी जा सके और उसे बढ़ावा दिया जा सके.
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