केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से किया आग्रह, 46 कोल ब्लॉक बख्शे जाएं

Last Updated 01 Sep 2014 03:45:26 PM IST

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को 1993 से 2010 के बीच आवंटित की गई कोल ब्लॉक्स के भविष्य का फैसला करेगा.


(फाइल फोटो)

कोल ब्लॉक आवंटन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि सारे कोल ब्लॉक आवंटन रद्द नहीं किए जाने चाहिए. देश में पावर की स्थिति गंभीर है अगर सारे आवंटन रद्द कर दिए गए हमें तुरंत नीलामी की प्रक्रिया में जाना पड़ेगा.

अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से कहा कि 46 आवंटनों को रद्द करने से बख्शा जाए क्योंकि वो प्रोडक्शन के लिए तकरीबन तैयार हैं.

साथ ही अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि अगर आप सारे कोयला आवंटन रद्द करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं लेकिन इस मामले के लिए कोई कमेटी न बनाई जाए.

उन्होंने कहा कि जो भी फैसला लेना हो कोर्ट जल्द ले क्योंकि सरकार नीलामी कराने के लिए तैयार है.

मामले की सुनवाई जारी है.

सोमवार को सभी की नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, क्योंकि 1993 के बाद से आवंटित किए गए सभी कोल ब्लॉक्स का भविष्य तय होगा.

1993 से 2012 तक के सभी 218 कोयला ब्लॉक्स के आबंटन को गैर कानूनी ठहरा चुका सुप्रीम कोर्ट जब सोमवार को 218 कोयला ब्लॉकों के भविष्य को लेकर फैसला सुनाएगा तो उसके सामने बड़ी विचित्र सी स्थिति हो जाएगी.

कोर्ट के सामने जहां गैर कानूनी आवंटन को निरस्त करने का दबाव होगा वहीं दूसरी ओर इन कोयला परियोजनाओं में कथित तौर पर बैंकों और कंपनियों के अरबों रुपये खर्च हो जाने के मुद्दे पर भी उसकी नजर होगी.

दरअसल बैंकों और निवेशकों की निगाहें सोमवार के फैसले पर टिकी हुई हैं.

कोर्ट के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह सभी आवंटन रद्द करेगा. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जिन कोयला ब्लॉकों में काम शुरू नहीं हुआ है, वे जरूर रद्द किए जाएंगे, लेकिन सवाल यह है कि जिन कोल ब्लॉकों में काम शुरू हो चुका है, क्या उनके गैरकानूनी आवंटन को नजरअंदाज कर दिया जाएगा?

साल 1993 से लेकर अब तक कुल 218 कोल ब्लॉक आवंटित किए गए.

सारी कंपनियों को दी गई मियाद पूरी हो चुकी है, लेकिन 218 में से केवल 40 कोल ब्लॉकों में ही काम शुरू हो पाया है.

इस बीच निजी कंपनियां, कार्पोरेट जगत के कुछ जानकार और सरकार में कुछ लोग इस बात को जोर-शोर से कह रहे हैं कि कंपनियां कोल ब्लॉकों को विकसित करने में करीब 2.86 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर चुकी हैं.
और अगर आवंटन रद्द हुए तो देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होगा, शेयर बाजार पर भी भारी असर पड़ेगा और बिजली की जरूरतों को पूरा करने की कोशिशों

को भारी झटका लगेगा.
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सूत्रों की मानें तो सबसे ज्यादा नुकसान बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को भारी-भरकम ऋण देने वाले बैंकों को उठाना पड़ सकता है.

इतना ही नहीं, न्यायालय के फैसले का असर उन इस्पात कंपनियों पर भी पड़ेगा.
सबसे बड़ा सवाल उन 40 ब्लॉक्स को लेकर होगा, जिनमें खनन का काम शुरू हो चुका है. इन ब्लॉक्स का क्या करना चाहिए? क्या इन ब्लॉक्स को लेकर नरमी

दिखानी चाहिए?
दरअसल, दूसरी कंपनियां जहां कोल ब्लॉक्स लेकर बैठी हुई हैं, इनमें काम शुरू हो चुका है. इन ब्लॉक्स में इनवेस्टमेंट भी किया जा चुका है.



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