संबंधों की नई कहानी लिखने जापान पहुंचे पीएम मोदी,हुआ भव्य स्वागत

Last Updated 30 Aug 2014 08:57:20 AM IST

‘बड़ी उम्मीदों’ के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच दिवसीय जापान यात्रा पर ओसारा पहुंच गए हैं.


नरेंद्र मोदी

इस यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों के नए आयाम खुलने और साथ ही सामरिक तथा वैश्विक भागीदारी को उच्च स्तर पर ले जाए जाने की संभावना है.

प्रधानमंत्री के रूप में उपमहाद्वीप से बाहर की उनकी इस पहली द्विपक्षीय यात्रा के दौरान मोदी का काफी लंबा चौड़ा एजेंडा है.

इस पांच दिवसीय यात्रा के दौरान ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही हैं कि प्रधानमंत्री वाणिज्यिक संबंधों के रक्षा, असैन्य परमाणु और ढांचागत क्षेत्रों में सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों का एक ‘नया अध्याय लिखेंगे.’

अपनी इस यात्रा के महत्व को रेखांकित करते हुए ‘उत्साहित’ मोदी ने जापान यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा कि भारत के विकास और तरक्की के उनके दृष्टिकोण में जापान ‘बेहद महत्वपूर्ण’ स्थान रखता है.

भारत में 100 स्मार्ट सिटी के निर्माण की अपनी परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए जापान के अनुभवों को देखने के लिए प्रधानमंत्री अपनी जापान यात्रा के पहले चरण में जापान की ‘स्मार्ट सिटी’ क्योटो की यात्रा करेंगे. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे विशेष भाव प्रकट करते हुए मोदी की अगवानी के लिए क्योटो जाएंगे.

दोनों नेताओं के बीच एक सितंबर को टोक्यो में महत्वपूर्ण शिखर बैठक होगी इस दौरान दोनों पक्ष सामरिक और वैश्विक भागीदारी को आगे बढ़ाने के उपायों पर गौर करेंगे.

विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को लेकर कहा है कि भारत को इस यात्रा से ‘बड़ी उम्मीदें’ हैं.

दोनों पक्षों के बीच शीर्ष स्तर की वार्ता के दौरान रक्षा, असैन्य परमाणु, ढांचागत विकास और पृथ्वी की दुर्लभ खनिज संपदा के क्षेत्र में सहयोग जैसे मुद्दे विचार विमर्श के लिए एजेंडे पर शीर्ष पर रहने की संभावना है.

इस दौरान रक्षा और असैन्य परमाणु क्षेत्रों सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की भी उम्मीद है. इनमें से एक समझौता दुर्लभ खनिज संपदा के संयुक्त उत्पादन से संबंधित है.

मोदी ने जापान यात्रा पर रवाना होने से पूर्व अपने बयान में कहा, ‘अपने अच्छे मित्र प्रधानमंत्री शिंजो एबे के निमंत्रण पर मैं भारत और जापान के बीच वार्षिक शिखर बैठक के लिए उत्सुकता से अपनी जापान यात्रा का इंतजार कर रहा हूं.’

भारत के पड़ोस से इतर प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा होने को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि यह इस बात का महत्व दर्शाता है कि भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों में जापान ‘शीर्ष प्राथमिकता’ रखता है.

मोदी ने कहा, ‘यह इस बात को भी परिलक्षित करता है कि भारत के विकास तथा समृद्धि और व्यापक संदर्भ में एशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि को लेकर मेरा जो सपना है उसमें जापान सर्वोपरि महत्व रखता है.’

मोदी ने कहा, ‘मुझे विास है कि मेरी यात्रा एशिया के दो पुराने लोकतंत्रों के बीच के संबंधों के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगी और हमारी सामरिक तथा वैश्विक भागीदारी को अगले उच्च स्तर तक ले जाएगी.’

प्रधानमंत्री ने इस बात का भी विशेष तौर पर उल्लेख किया कि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक भागीदार होने के अलावा राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में भी जापान, भारत का करीबी भागीदार रहा है.

मोदी की जापान यात्रा में कल का उनका ‘स्मार्ट सिटी’ क्योटो का दौरा काफी मायने रखता है जो सांस्कृतिक परंपरा और आधुनिकता का एक उदाहरण है और देश में 100 स्मार्ट सिटी के निर्माण के प्रधानमंत्री के अपने सपने से मेल खाता है.

उन्होंने कहा, ‘हम इन संभावनाओं का पता लगाएंगे कि कैसे जापान, भारत के समग्र विकास के मेरे सपने के साथ सार्थक रूप से जुड़ सकता है जिसमें भारत के विनिर्माण, ढांचागत क्षेत्र, ऊर्जा तथा सामाजिक क्षेत्रों का कायाकल्प भी शामिल है.’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह एबे के साथ आने वाले वर्षो में वैश्विक और सामरिक भागीदारी के खाके पर भी विचार विमर्श करेंगे.

मोदी ने कहा, ‘हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि दोनों देशों की विकसित होती घरेलू नीतियों के अनुसार कैसे हम अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ा सकते हैं जिनमें रक्षा तकनीक, उपकरण और उद्योग भी शामिल हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं दोनों देशों की पहल पर शुरू की गयी परियोजनाओं के अधूरे एजेंडे की प्रगति में तेजी लाने की कोशिश करूंगा.’

मोदी ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री एबे से ऐसे समय में मुलाकात करने जा रहा हूं जब वि स्तर पर बड़ी चुनौतियां हैं और आर्थिक तंगी से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में संकट और बदलाव का दौर जारी है. मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री एबे के साथ साझा हितों से जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान प्रदान होगा.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच केवल सद्भावना और एक दूसरे के प्रति सराहना का भाव है. भारत के बौद्धवाद ने जापान को प्रेरित किया और इसी प्रकार भारत में लोगों ने एशिया के आधुनिकीकरण, उत्कर्ष तथा ऊर्जावान करने में जापान के नेतृत्व से प्रेरणा हासिल की.

उन्होंने कहा कि इतने सालों में भारत के आर्थिक, सामाजिक तथा ढांचागत विकास में जापान के उदारतापूर्वक किए गए योगदान से भारत की जनता उसकी आभारी है.
 

 

 

 

 

 



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